पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 22.pdf/३५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
११
टिप्पणीयाँ
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीकी आगामी महत्त्वपूर्ण बैठक २४ दिसम्बरको होनेवाली है । इस बैठकके निर्णयपर भविष्य के तमाम कार्यक्रमका आधार रहेगा । मुझे आशा है कि प्रत्येक सदस्य जो इस बैठक में उपस्थित हो सकता है अवश्य उपस्थित रहनेका प्रयत्न करेगा । यह भी आशा है कि प्रत्येक सदस्य बिना किसी संकोचके पूरी आजादी के साथ अपना मत प्रकट करेगा । और फिर मत देनेका अर्थ उसके अनुसार व्यवहार करना है । हमारे राष्ट्रीय इतिहासके इस महत्त्वपूर्ण क्षण में यन्त्रके समान मिला हुआ बहुमत किसी कामका नहीं । यदि हम किसी खास कार्यक्रमके पक्ष में अपना मत दें तो उसपर हमारा विश्वास, हमारी श्रद्धा होनी चाहिए और प्राणपणसे उसका पालन करनेकी तैयारी होनी चाहिए । हम जेलके दरवाजोंको खोल दें और जेलोंमें ऐसे दाखिल हों जैसे कि दूल्हा दुल्हन के कक्षमें होता है । स्वतन्त्रता के लिए प्रयास धारा सभाओं में या अदालतोंमें या स्कूल-कालेजोंके कमरोंमें नहीं बल्कि कैदखानों में और कभी-कभी तो फाँसी के तख्तेपर चढ़कर ही किया जाता है । इस संसारकी प्रेमिकाओं में स्वतन्त्रता सबसे अधिक चंचला है । वह सर्वाधिक लुभावनी रमणी है जिसे खुश कर पाना सबसे अधिक कठिन काम है । इसमें क्या आश्चर्य है कि वह अपना मन्दिर जेलोंमें या अगम्य ऊँचाइयोंपर बनाती है और जब हम (हिमालयकी-सी ऊँचाई पर स्थित उसके मन्दिरतक पहुँचनेकी आशा में) जेलकी दीवारोंको पार करनेका या काँटोंसे भरे ऊबड़-खाबड़ रास्तेको तय करनेका प्रयत्न करते हैं तो वह हमपर हँसती है । अतएव कांग्रेसकी बैठकके लिए आनेवाले सदस्योंको चाहिए कि वे अपना मत और अपने विचार निश्चित करके आयें । यदि हमारा जेल जानेमें विश्वास न हो तो हमें ठीकसे यह बात कहनी चाहिए और दूसरे उपाय सुझाने चाहिए । यदि इस समय या कभी आगे जेलके रास्तेमें मेरा विश्वास न हो तो अकेला रह जानेपर भी मैं उसके पक्ष में अपना मत कभी न दूँगा । और यदि मेरा उसमें विश्वास हो तो अपने पक्षमें एक भी समर्थक न होनेपर भी मैं बिना हिचकिचाहट अपनी वही राय दूँगा । आराम से चलाये जानेवाले किसी कार्यक्रमसे हम इस स्थितिका सामना नहीं कर सकते । हम लोग जो जेलोंके बाहर हैं वे जेलोंकी जीवनदायिनी दीवारोंके अन्दर पहुँच जानेवाले लोगोंके न्यासी हो गये हैं । हम उनके विश्वासके योग्य सिर्फ एक ही तरहसे ठहर सकते हैं --वह यह कि अपने सिद्धान्तोंका पालन करते हुए जेलोंमें दाखिल हो जायें और आगेकी जिम्मेदारी अपने पीछे आनेवालों पर छोड़ दें ।

कार्य-समिति

इस समितिका कार्यकाल अब समाप्त हो रहा है और इसकी यह अन्तिम बैठक बड़ी ही कठिन परिस्थितियोंमें होगी । इसके १५ सदस्योंमें से देशबन्धु दास, लाला लाजपतराय, पण्डित मोतीलाल नेहरू' तथा मौलाना अबुल कलाम आजाद, जो दिल्लीमें मौलाना मोहम्मद अलीके स्थानपर अभी नियुक्त हुए थे, महामान्य

१. १८६१-१९३१; वकील और राजनीतिज्ञ; भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके दो बार अध्यक्ष |

२. १८७८-१९३१; शौकत अलीके भाई और खिलाफत आन्दोलनके प्रमुख नेता ।