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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

देंगे तो ईश्वर हमें स्वराज्य से वंचित रखनेकी व्यवस्था अवश्य करेगा। इस सम्बन्धमें एक युवकने चेतावनी दी है। मैं उसका सारांश यहाँ उसीकी भाषामें देता हूँ :[१]

एक गुजराती कविका पत्र एशियाके एकमेव कविके नाम

सभी लोग जानते हैं कि कवि श्री नानालालने[२] अपनी नौकरी छोड़ दी। उन्होंने महाकवि रवीन्द्रनाथ ठाकुरको निम्न पत्र[३] लिखा है :

कवि श्री नानालालने महाकविको यह पत्र लिखा है, यह ठीक ही किया है । उन्होंने नौकरी छोड़ दी, यह भी अच्छा किया है। वे चाहें तो तटस्थ भी रहें । किन्तु ऐसा पत्र लिखनेके बाद उनसे गुजरात यह अवश्य पूछेगा कि जबतक इच्छित फल नहीं मिलता तबतक वे इस बात के लिए तो बँधे हुए हैं कि न तो स्वयं चैनसे बैठें और न दूसरोंको बैठने दें । उनका प्रथम कर्तव्य तो यह है कि वे गुजरातके तटस्थ लोगोंको संगठित करें ।

ज्ञातव्य प्रश्न

एक भाईने शुद्ध हृदयसे कोई पन्द्रह प्रश्न पूछे हैं। अपने हस्ताक्षरोंके पूर्व " बारडोली ताल्लुकेका एक हितचिन्तक" विशेषण लगाकर उन्होंने अपना नाम भी दिया है। मैं स्थानकी कमी के कारण उन प्रश्नोंको यहाँ नहीं देता । किन्तु उनके उत्तर इस तरहसे देनेका प्रयत्न करूँगा कि उनको पढ़नेसे प्रश्न सुगमतासे समझमें आ सकें ।

१. मैं जब पहली बार बारडोली गया था तब मैंने कहा था कि अभी लोगोंको और अधिक तैयारी करनी चाहिए। इस बार दो मास बाद जब मैं वहाँ गया तब मैंने लोगोंकी तैयारी पर्याप्त मान ली, क्योंकि मैंने देखा कि वहाँ अब पहलेसे अधिक काम हुआ है। मैंने वहाँ अस्पृश्यता निवारणके सम्बन्ध में अन्य सब स्थानोंसे अधिक तैयारी देखी। मुझे इस ताल्लुकेमें हिंसा होने का भय सबसे कम है। इसके अतिरिक्त मैं इस ताल्लुकेके कार्यकर्ताओंपर मुग्ध हूँ ।

२. मुझे विश्वास है कि अन्य सब स्थानों की अपेक्षा इस ताल्लुकेमें असहयोगकी सभी शर्तों का पालन अधिक किया जा रहा है। जिस ताल्लुकेने अपनी ओरसे आमन्त्रण ही न दिया हो, हम उसकी बात ही क्यों करें ?

३. यहाँके लोग अपेक्षाकृत अधिक संख्या में हाथकते सूतका बुना कपड़ा पह- नते हैं ।

४. यहाँ चरखे इतनी संख्या में चलते हैं कि उनसे इस ताल्लुकेको सदा अपनी जरूरत-भरका सूत मिलता रह सकता है।

 
  1. उक्त सारांशका अनुवाद यहाँ नहीं दिया गया है ।
  2. (१८७७-१९४६ ); गुजरात के एक प्रमुख कवि ।
  3. यहाँ इसका अनुवाद नहीं दिया गया है । नानालालने इसमें लिखा था कि सरकार और असहयोगियोंके बीच लड़ाई अवश्यम्भावी दिखती है, अतः जो लोग इसमें तटस्थ हैं उनका कर्तव्य है कि वे इस बातका ध्यान रखें कि दोनों पक्ष सभ्यतापूर्ण लड़ाईके नियमोंका पालन करते रहें ।