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२. महिलाओंका योग

कलकत्तेकी महिलाओं द्वारा खादी बेचने के प्रयाससे कलकत्तेके आम रास्तेपर भद्र पुरुषोंके कामकाजमें बाधा पड़ गई तथा इसलिए समाचार-पत्रोंमें प्रकाशित समाचारके अनुसार सरकारने उनको गिरफ्तार कर लिया ।' जो महिलाएँ गिरफ्तार की गयीं उनमें मनोनीत अध्यक्ष महोदयकी श्रद्धालु सहवर्तनी, उनकी विधवा बहन तथा भतीजी भी थीं । मुझे आशा थी कि शुरू-शुरू में तो सरकार स्त्रियोंको जेल जानेका गौरव नहीं ही देगी । साधारणतया महिलाओंके सविनय अवज्ञामें सक्रिय भाग लेनेकी कोई बात नहीं थी; किन्तु बंगाल सरकारने स्त्री-पुरुषोंमें भेदभाव नहीं बरता और अपनी समदर्शिता के उत्साह में आकर बंगालकी तीन महिलाओंको भी जेल जानेका गौरव प्रदान कर दिया । तब मैं आशा करता हूँ कि सम्पूर्ण देश इस नवोन्मेषका स्वागत करेगा । स्वराज्य प्राप्त करने में पुरुषोंके जितना ही भाग भारतकी नारियोंका भी होना चाहिए । सम्भवतः इस शान्तिपूर्ण संघर्ष में महिलाएँ पुरुषोंको मीलों पीछे छोड़ सकती हैं । हमें ज्ञात है कि वे अपनी धार्मिक निष्ठामें पुरुषसे कहीं बढ़कर रही हैं । नारी जाति मूक तथा गम्भीर सहिष्णुताकी प्रतीक है । और अब बंगाल सरकारने नारीको अग्नि परीक्षा के घेरेमें खींच ही लिया है तो मुझे आशा है कि सारे भारतकी महिलाएँ इस चुनौतीको स्वीकार करेंगी तथा संगठित हो जायेंगी । पुरुषोंके बहुत बड़ी संख्या में जेलोंमें चले जानेसे अपने नारीत्व के गौरवको देखते हुए उनको उनका स्थान लेनेको बाध्य होना ही पड़ेगा और अब यह योगदान जेल जीवनकी कठिनाइयोंको पुरुषोंके साथ-ही-साथ झेलते हुए दिया जाये । ईश्वर उनके गौरवकी रक्षा करेगा । नारीके सहज संरक्षक, उसके पति भी द्रौपदीके चीर-हरणको रोकने में जब असमर्थ हो गये तब उसके सम्मानकी रक्षा उसके सतीत्वने की और मानो शरीर-बलका इस तरह उपहास किया । यह तो एक शाश्वत सत्य है कि निर्बलसे-निर्बलको भी अपनी प्रतिष्ठाकी रक्षा करने की सामर्थ्य प्राप्त है । नारीको पुरुषका संरक्षण मिले किन्तु पुरुषोंकी अनुपस्थितिमें अथवा उसके संरक्षणके अपने पुनीत कर्त्तव्यका पुरुषों द्वारा पालन न कर पानेकी स्थिति-में भारत की कोई नारी अपनेको असहाय न समझे । जो मरना जानता है उसे अपनी प्रतिष्ठापर आघात किये जानेपर विचलित होनेकी आवश्यकता कदापि नहीं है ।

मैं भारतीय नारियोंको सलाह दूँगा कि वे बिना समय खोये शान्तिपूर्वक अग्नि-परीक्षाके इस घेरेमें पाँव रखनेके लिए तैयार बहनोंके नाम इकट्ठे करनेमें जुट जायें । वे अपनी सेवाका प्रस्ताव बंगालकी महिलाओंको भेजें ताकि बंगालकी महिलाएँ यह

१. उन्हें ७ दिसम्बर, १९२१ को मुख्य मार्गपर आवागमनमें बाधा डालनेका आरोप लगाकर गिरफ्तार किया गया था ।

२. चित्तरंजन दास ।

३. वे बादमें छोड़ दी गई ।