पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 31.pdf/१३६

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१११. पत्र : वी० बी० तैयरको

आश्रम
साबरमती
७ जुलाई, १९२६

प्रिय मित्र,

'सन्ध्या वन्दना' के सम्बन्ध में आपका लेख मुझे मिल गया है। लेख दिलचस्प है, लेकिन 'यंग इंडिया' के पाठकोंके कामका नहीं। वे इसे समझ नहीं सकेंगे। 'यंग इंडिया' के पाठकोंके प्रति जिस प्रार्थनाका आग्रह किया जाता है, वह हृदयको प्रार्थना है। मैं लेख लौटा रहा हूँ। शायद आपको इसकी जरूरत पड़े। आशा करता हूँ कि चरखेके काममें आपको सफलता मिल रही होगी।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत वी० बी० तैयर

मिलिटरी अकाउँट्स
मेम्यो

(बर्मा)

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९६५५) की माइक्रोफिल्मसे।

११२. पत्र: भूपेन्द्रनारायण सेनको

आश्रम
साबरमती
७ जुलाई, १९२६

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला। इससे आपकी योजनाएँ कुछ ज्यादा अच्छी तरह समझमेंआईं। लेकिन यह बताइये कि रचनात्मक कार्यक्रमकी कुछ मदोंको अपने ही ढंगसे चलाने की आपकी योजनाएँ खादी प्रतिष्ठान और अभय आश्रमकी योजनाओंसे किस बातमें भिन्न है?

मलेरियाके बारेमें मेरे पास एक ही सुझाव है कि उसका फैलना रोका जाये। रोकथामके उपायोंकी सफलता एकदम निश्चित तो नहीं है; लेकिन मैं समझता हूँ कि यदि व्यक्ति अपना शरीर स्वच्छ रखे, रक्त-संचार ठीक बनाये रखे और जल तथा आहारकी शुद्धताके बारेमें आम परहेज रखे तो उसके लिए मलेरियासे बचे रहनेकी