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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सकता है। एक ओटनीसे ६ मंझोले आकारकी चुनकियोंपर कामके लायक ढाई-ढाई पौंड रुई मिल सकती है। एक हाथ-ओटनीकी लागत ७ रु० पड़ती है और एक मंझोले आकारकी धुनकीकी लागत ५ रु० । ये दोनों ही चीजे वहीं तैयार की जा सकती हैं। इन्हें बनवा लिया जाना चाहिए। यदि प्रतिवर्ष कमसे-कम १० रु०की खादी अवश्य खरीदनेवाले ४०० भी स्थायी ग्राहक हों, तो मैं आपको एक छोटासा खादी-भण्डार खोलनेका सुझाव दूंगा। ये १० रु० पेशगी जमा करा लिये जायें। यदि ऐसा हो जाये तो भंडारमें आप एक कतैया, एक धुनिया और एक रुई ओटनेवाला रख सकते हैं, ताकि स्वैच्छिक कतैयोंके सामने कताईकी तीनों प्रक्रियाओंका प्रदर्शन किया जा सके। मजदूरी लेकर कातनेवालोंकी दृष्टिसे भारतके हरएक हिस्से में अलग-अलग तरहका रिवाज है। कुछ कातनेवाले पूनियाँ अर्थात् कातने के लिए धुनी धुनाई रुईकी दोनों सरियोंपर लपेटकर गोल की हुई पूनियाँ तैयार माँगते हैं। कहीं-कहीं कातनेवाले रुई ले जाते हैं और इसकी धुनाई आदि खुद करते हैं।

मेरे लिए यहाँसे कोई प्रशिक्षक भेज सकना कठिन है। मैं आपको सुझाव दूंगा कि आप श्री रामनाथनसे सम्पर्क स्थापित करें। वे तमिलनाडमें अखिल भारतीय चरखा संघके प्रतिनिधि हैं। उनका पूरा नाम व पता है: श्रीयुत एस० रामनाथन, अखिल भारतीय चरखा संघ (तमिलनाड शाखा) ईरोड ।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९६६४) की माइक्रोफिल्मसे ।

१४५. पत्र: च० राजगोपालाचारीको

आश्रम
साबरमती
१४ जुलाई, १९२६

मुझे आपके दो तार मिले। मैं जानता था कि आपके यहाँ आनेमें ऐसी कोई न कोई अड़चन आयेगी। आपके कलके तारमें आनेकी बात बिलकुल निश्चित तौरं पर कही गई थी। मुझे लगा आप कहीं दौरेपर निकल रहे हैं, हो सकता है कुछ दिन यहीं गुजारने आ रहे हों। लेकिन मैं यह भी जानता था कि दास्ताने एकदम निराश हो चुका है। उसे कई बार निराश होना पड़ा है। इस बार उसने आप सबके वहाँ पहुँचनेकी बड़ी आशा लगा रखी थी। वह चाहता है कि या तो सब पहुँचें या फिर कोई भी नहीं। इसलिए मैं समझता हूँ कि उसने आपको तार दिया। अतः यह सचमुच मजबूरी है।

मणिलाल और जमनालालजी सितम्बरमे अपना समय खाली रखने के लिए राजी हो गये हैं और यदि आप भी तभी निश्चित तौरपर सुलभ हो सकते हों, तो आप इस साल एक या दो दौरे कर सकते हैं। लेकिन यदि सितम्बरमें आपको समय न