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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सके कि मांसाहारसे शरीरपर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता, तब भी अहिंसाके सिद्धान्तके आधारपर उसका निषेध तो किया ही जायेगा।

आशा है कि अबतक आपको नरहरिभाईकी[१] रिपोर्ट मिल गई होगी।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत आ० टे० गिडवानी

प्रेम महाविद्यालय

वृन्दावन

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ११२६७) की माइक्रोफिल्मसे।

१५७. पत्र : देवरत्नको

आश्रम
साबरमती
१५ जुलाई, १९२६

भाई देवरत्नजी,

आपका पत्र मिला। हिंदु मुस्लीम प्रश्नके लिये मैं बहुत सोचता हूं, परंतु मैं जानता हूं कि इस वक्त मेरा कुछ भी कहना निरर्थक है। अब निश्चय रखें कि जब मुझको ऐसा प्रतीत होवे कि मैं कुछ भी कर सकता हूं तब तो मैं अवश्य वह उपाय जनताके सामने रखूंगा। हां, इतना मैं जानता हूं सही कि हिन्दुधर्मकी रक्षा बगैर तपश्चर्याके हरगीज न होगी। उसके लिये मैं यथोचित विचार और कार्य कर रहा हूं।

मूल प्रति (एस० एन० १२२००) की फोटो-नकलसे ।

१५८. पत्र : बलवन्तराय भगवानजी मनियारको

आश्रम
साबरमती
बृहस्पतिवार, १५ जुलाई, १९२६

भाई बलवन्तराय,

लगता है, तुम्हारे पास पैसेकी बहुतायत है। परन्तु तुम कोई निश्चय भी कर सकते हो, ऐसा मुझे नहीं लगता। आश्रम नियमावलिको प्रतियाँ समाप्त हो गई हैं। लेकिन यहाँका कार्यक्रम यह है :

चार बजे उठना। पाँच बजेतक प्रार्थनामें भाग लेना। छः बजेतक स्वाध्याय करना। जो स्वयं अपना भोजन बनाते हों, वे अपना भोजन बना लें। सात बजेसे

  1. नरहरि परीख।