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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मयं

जब आप इसे अपने-आप देख लें और इसका अनुभव कर लें तभी आपको कोई कदम उठाना चाहिए, उसके पहले नहीं।

मेरा अनुभव यह है और मैंने यह देखा है कि जो मलिन वातावरणमें अपनी स्वच्छताको नहीं बनाये रख सकते, वे तथाकथित स्वच्छ वातावरणमें जाकर भी अधिक स्वच्छ नहीं रह पाते। 'आप भला तो जग भला' यह कहावत विचार करने योग्य है। इसलिए यहाँ आनेके बाद आप निर्भय हो जायेंगे, ऐसा आपको नहीं मान लेना चाहिए। यहाँ रहनेवाले सब लोग पवित्र हैं अथवा पवित्र हो गये हैं, ऐसा भी न मान लें। घर-घरमें मिट्टीके चूल्हे होते हैं। यहाँके बारेमें इतना ही कहा जा सकता है कि कुछ-एक लोग आत्मशुद्धिके लिए भगीरथ प्रयत्न कर रहे हैं।

श्री बलवन्तराय भगवानजी मनियार

नागर चकला

जामनगर

गुजराती प्रति (एस० एन० १२२१६) की माइक्रोफिल्मसे।

२०९. पत्र : ए० आई० काजीको

आश्रम
साबरमती
२६ जुलाई, १९२६

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला। मुझे बड़ा खेद है कि आपके नामका महत्वपूर्ण पत्र जर्मनी और जर्मनी भेजा जानेवाला पत्र आपके पास पहुँच गया। अब मैं यही कर सकता हूँ कि अपने पत्रकी एक प्रति, जो सौभाग्यसे मेरे पास है, आपको भेज दूं।

श्री एन्ड्रयूजको लिखा गया आपका पत्र मैंने पढ़ लिया है। उम्मीद है कि श्री एन्ड्रयूज अक्तूबर में किसी समय दक्षिण आफ्रिकामें पहुँच जायेंगे। मैं जानता हूँ कि आप चिन्ताकुल हैं। जो कुछ भी शक्य है वह सब यहाँ किया जा रहा है। परन्तु आपने श्री एन्ड्रयूजके नाम पत्रमें लिखा है कि दोष स्वयं हमारा ही है; यह ठीक भी है, फिर भी मैं आशा लगाये हुए हूँ कि आगामी सम्मेलनका कुछ-न-कुछ सुफल अवश्य निकलेगा ।

हृदयसे आपका,

श्री ए० आई० काजी

महामन्त्री,
द० अ० भा० कांग्रेस

१७५, ग्रे स्ट्रीट, डर्बन

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १२०१७) की माइक्रोफिल्मसे।