साथ ठहराई गई हैं। मालूम होता है, लाला श्यामलाल तुम्हें अच्छी तरह जानते हैं। ओम बीमार पड़ गई थी इसलिए यहाँ आई है। अब बिलकुल ठीक है।
बापूके आशीर्वाद
गुजराती पत्र ( जी० एन० २८७०) की फोटो-नकलसे।
२१६. पत्र : प्रभाशंकर पट्टणीको
आश्रम
साबरमती
मंगलवार, आषाढ़ बदी [३][१], २७ जुलाई, १९२६
उम्मीद है, आपकी तबीयत अच्छी रहती होगी। खुराकमें कोई परिवर्तन न होने दें। लगता है, वे दो पुस्तकें आपके साथ चली गई हैं। यदि आपके साथ चली गई हों तो पढ़नेके बाद भेज दें। दोनों विभिन्न मित्रोंकी हैं।
मोहनदासके वन्देमातरम्
सौजन्य : महेश पी० पट्टणी
२१७. पत्र : जगजीवन तलेकचन्द दरबारीको
२७ जुलाई, १९२६
क्या पत्रिकाओंमें उल्लिखित महाजनके[२] नाराज होनेकी बातके सही होनेके तुम्हारे पास प्रमाण हैं? क्या तुम्हारे पास मूल लेख हैं? यदि हों तो मुझे देखनेके लिए भेजना।
शराबके ठेकोंके सम्बन्धमें आन्दोलन दो तरहसे किया जाना चाहिए। एक तो दरबारसे अनुरोध करके और दूसरे शराब पीनेवाले लोगोंको भली-भाँति समझा-बुझाकर। उनके शराब पीनेके कारण ढूंढ़ने चाहिए और उनके जीवनमें प्रवेश करना चाहिए। इसके लिए हमें अच्छे चरित्रवान स्वयंसेवक चाहिए।
गुजराती प्रति (एस० एन० १०९७०) की फोटो-नकलसे।