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२२८. पत्र : सर हैरॉल्ड मैनको

आश्रम
साबरमती
२८ जुलाई, १९२६

प्रिय सर हैरॉल्ड मैन,

मुझे मालूम हुआ है कि माटुंगामें एक तकनीकी प्रयोगशाला है और आप उसके प्रधान हैं। क्या आप हमारे व्यवस्थापक मगनलाल खु० गांधीके लिए उस प्रयोगशालाके सुपरिटेंडेंटके नाम एक परिचय पत्र देनेकी कृपा करेंगे? श्री मगनलाल खु० गांधी मेरे चचेरे भाई हैं। वे उक्त प्रयोगशालामें कपास, सूत आदिकी जाँचके लिए प्रयुक्त विभिन्न उपकरणोंको देखना-समझना चाहते हैं।

हृदयसे आपका,

सर हैरॉल्ड मैन

कृषि-संचालक

बी० पी० पूना

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९६७६) की फोटो-नकलसे।

२२९. पत्र : हेमप्रभादेवीको

आश्रम
साबरमती
बुधवार, आषाढ़ कृष्ण ४, [२८ जुलाई, १९२६]

प्रिय भगिनी,

आपका पत्र चार रोजके पहले मिला। बुखार और गोरके उपद्रवकी बात पढ़कर मुझको दुःख हुआ। आराम हुआ होगा। चरखा सिखानेका कार्य मुझको तो बड़ा प्रिय लगता है। परंतु मुझको यह डर है कि हमेशा शक्तिके बाहर काम करनेसे शरीर क्षीण होता जायगा। इसलिये मेरी तो आपके साथ यह शरत है कि शरीरको अच्छा रखकर जो कुछ भी काम करना है वह किया जाय। 'गीताजी' पर जो कुछ में कह रहा हूं उसका तात्पर्य किसी न किसी रोज हिंदीमें प्रगट होनेका संभव है। परंतु इस बातको देर होगी। शरीरका अच्छी तरहसे जतन करना हमारा धर्म है, इस बातको भूलना न चाहिए।

बापू

मूल पत्र (जी० एन० १६४८) की फोटो-नकल तथा एस० एन० १२२२४ से।