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पत्र : मोतीलाल रायको

पृष्ठोंमें देखा; वहाँ होगा इसका किसीको खयालतक नहीं हो सकता। शायद अब हालके अंकोंमें विज्ञापन बिलकुल नहीं हैं। लेकिन मेरे पास वे अंक नहीं हैं। मेरे पास तो वही है जो आपने मुझे पूनामें दिया था।

आपको भेजे अपने सन्देशमें[१] मैंने जो कहा है सो सोच-समझकर कहा है; इसलिए आपकी तरह, मैं भी यह आशा करता हूँ कि सारी कठिनाइयोंके बावजूद आप खद्दरको महाराष्ट्रमें ग्राह्य बनानेके अपने कार्यमें सफल होंगे।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

अंग्रेजी पत्र (सी० डब्ल्यू० ९५७) की फोटो-नकलसे।
सौजन्य : जी० एन० कानिटकर

२४९. पत्र : मोतीलाल रायको

आश्रम
साबरमती
३० जुलाई, १९२६

प्रिय मोतीबाबू,

गजोंमें खादीके उत्पादन और उसकी बिक्रीके आँकड़ोंके साथ आपका पत्र मिला। मैंने 'यंग इंडिया' के मारफत कातनेवालों आदिके विषय में जानकारी मांगी है। आप ऐसी सारी जानकारी मुझे भिजवा दीजिए। जिन विषयोंके बारेमें जानकारी चाहिए वे आपको··· के[२] 'यंग इंडिया' में मिल जायेंगे। यह भी सूचित कीजिए कि क्या संघके सभी कार्यकर्त्ता नियमपूर्वक खादी हो पहनते हैं और यज्ञके रूपमें प्रतिदिन आधा घंटा सूत कातते हैं। अगर ऐसा हो तो क्या आप उस उत्पादनका कोई हिसाब रखते हैं? क्या आप समय-समयपर सुतकी मजबूतीकी जाँच करते हैं? क्या स्वेच्छया कातनेवालोंके चरखे ठीक हालतमें रखे जाते हैं? क्या आप अपनी जरूरतके चरखे खुद ही तैयार करते हैं? क्या संघके सदस्य अखिल भारतीय चरखा संघके भी सदस्य हैं?

हृदयसे आपका,

बाबू मोतीलाल राय

प्रवर्तक संघ

चन्द्रनगर

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ११२१३) की माइक्रोफिल्मसे।

३१-१६
  1. देखिए "सन्देश : महाराष्ट्रकी जनताके नाम", २६-७-१९२६ ।
  2. स्पष्ट ही यह स्थान सम्बधित अंककी तिथि, १७-६-१९२४ भरनेके लिए छोड़ा गया था।