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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

थे, उन्हें बहुसंख्यक समुदाय शोर करके बैठा देता था या कभी-कभी तो उनके साथ जोर-जबर्दस्ती भी की जाती थी। इसमें उस बहुसंख्याका और उस आन्दोलनका अपमान ही होता था। वे इस प्रकार उस आन्दोलनको बिना सोचे-समझे धोखा देते और अर्थका अनर्थ करते थे। इसलिए में, इस कांग्रेसी पत्रलेखकसे, तथा उन कांग्रेसियोंसे जिनके ये प्रतिनिधि हैं, यह भी कहना चाहता हूँ कि यदि 'जस्टिस' पार्टी या किसी और पार्टीको उन्हें अपनी ओर कर लेना मंजूर हो तो उनके साथ नम्रताका ही व्यवहार करना होगा, भले ही वे उद्दण्डता दिखलायें। यदि सभी विरोधियोंको दबाना ही इष्ट है, तो फिर दोनों ओरसे डायरशाहीका व्यवहार ही उचित दवा है। लेकिन हम उससे स्वराज्यके निकट पहुँच सकेंगे या नहीं, यह एक दूसरा ही सवाल है।

जहाँ विश्वास ही न हो, वहाँ मेरी सब सलाह बेकार है। इसलिए सभी कांग्रेसियोंको सभी तरहसे आगा-पीछा सोच लेना चाहिए और तब एक निश्चय करके उसीके अनुसार काम करना चाहिए। तब इसकी कुछ भी परवाह नहीं करनी चाहिए कि इसका क्या नतीजा होगा। इसमें भूल होना सम्भव है, परन्तु तब भी उनका आचरण ठीक ही कहा जायेगा अज्ञानवश की हुई हजारों भूलें, उस बिलकुल सही और सोचे-समझे कामसे अच्छी हैं, जिसके पीछे विश्वास न हो। वह तो मक्कारी ही होगी। सबसे बड़ी बात तो यह है कि यदि हमें देशके साथ सच्चे बनकर रहना है और उसे उसके अभीष्ट स्थानपर पहुँचाना ही है तो हमें अपने खुदके प्रति ईमानदारी ही बरतनी पड़ेगी। अहिंसाको नारेबाजीकी चीज मत बनाइए। यह कोई पोशाक तो नहीं है कि जब चाहा पहन ली और जब चाहा उतार दी। इसका स्थान हमारे हृदयों में है और हमें अपने जीवनके साथ इसका अटूट सम्बन्ध जोड़ना होगा।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १३-८-१९२६

३१४. पत्र : आर० ए० ऐडम्सको

आश्रम
साबरमती
१२ अगस्त, १९२६

प्रिय मित्र,

आपके ६ अगस्तके पत्रके[१] लिए धन्यवाद। मैंने पूछताछ कर ली है। ऐसा प्रमाण-पत्र कि नेशनल कालेजके विद्यार्थी 'बाइबिल' की प्रतियाँ खरीदनेके लायक पैसे नहीं जुटा सकते, नहीं दिया जा सकता। लेकिन मैंने कल एक आदमी यह पता लगानेके

  1. आर० ए० ऐडम्सने अपने पत्र में नेशनल कालेजके एक विद्याथी द्वारा बाइबिलके नये करारकी एक प्रति मुफ्त मांगनेका जिक्र किया था और अपने उत्तरकी प्रति (एस० एन० २०९७७) संलग्न करते हुए लिखा था कि यदि बाइबिलकी मुफ्त प्रति चाहनेवाले सभी विद्यार्थियोंकी एक सूची उन्हें भेज दी जाये, तो वे उन सभीको बाइबिल भेज देंगे। (एस० एन० १०९७६) से ।