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पत्र : नाजुकलाल नन्दलाल चोकसीको

निविवाद तथ्योंका पता लगा लें। क्या यह दुष्कर्म आम हो गया है? पिछले छः महीनों में ही वास्तवमें बलात्कारकी घटनाएँ कितनी हुई हैं? क्या इस प्रकारके सारे मामलोंमें पुरुषोंके लिए उन बहनोंकी रक्षा करना असम्भव था ? बदमाशोंने उनको हथियानेके ठीक-ठीक कौनसे तरीके अपनाये थे? आशा है कि आप तबतक कोई कदम न उठायेंगी जबतक तथ्योंका पूरा-पूरा पता न लगा लें और आपको यह उचित विश्वास न हो जाये कि इस बुराईसे जूझनेके लिए आप जिन साधनोंको सुझायेंगी अन्य लोग भी उन्हें स्वीकार कर लेंगे।

हृदयसे आपका,

श्रीमती ए० सेन तथा कुमारी पी० बोस

द्वारा राजकुमार सेन
दीनानाथ सेनकी गली, गण्डारिया

डाकखाना फरीदाबाद, ढाका

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १२३७८) की फोटो-नकलसे।

३१७. पत्र : नाजुकलाल नन्दलाल चोकसीको

आश्रम
साबरमती
बृहस्पतिवार, श्रावण शुक्ल ४, १२ अगस्त, १९२६

भाई नाजुकलाल,

अब तो तुम बम्बई वापस आ गये होगे। वेलाबहन मोतीकी रट लगाये हुए है। यदि उसे भेज सको तो थोड़े समयके लिए भेज दो। लेकिन यदि न भेज सको तो स्पष्ट लिखनेमें तनिक भी संकोच न करना।

आशा है तुम्हारा स्वास्थ्य अच्छा होगा।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (एस० एन० १२१३४) की फोटो-नकलसे।