पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 31.pdf/३५०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

३२६. पत्र : भूपेन्द्र नारायण सेनको

आश्रम
साबरमती
१३ अगस्त, १९२६

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला। मैं रेवरेंड किचिनके दो मूल पत्र लौटा रहा हूँ। साथ में मैंने प्रफुल्लके पत्रका जो उत्तर[१] भेजा है उसकी एक प्रतिलिपि भी संलग्न है।

पाँच सौ रुपयोंके बारेमें में यह चाहता हूँ कि आप सतीशबाबूसे मिलकर उनको स्थिति मझा दें और उनसे अपने प्रार्थनापत्रपर सिफारिश करा लें। फिर आप यह् प्रार्थनापत्र अखिल भारतीय चरखा संघको भेजें। तब प्रार्थनापत्रको मंजूर करानेमें कोई कठिनाई नहीं पड़ेगी।[२]

हृदयसे आपका,

श्रीयुत भूपेन्द्र नारायण सेन

२३, मन्दराम सेन स्ट्रीट
डा० हाटकोला

कलकत्ता

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ११२२५) की माइक्रोफिल्मसे।

३२७. पत्र : सर गंगारामको

आश्रम
साबरमती
१४ अगस्त, १९२६

प्रिय मित्र,

आप स्वयं देखेंगे कि आपने अपनी पुस्तिकामें विधवाओंके सम्बन्धमें जो आँकड़े प्रस्तुत किये हैं, मैंने उनका उपयोग किया है।[३] एक पत्रलेखकने मुझसे यह पूछनेके

  1. देखिए पिछला शीर्षक।
  2. सेनने १७ अगस्तको इसका उत्तर दिया था। उन्होंने इसके साथ अपना प्रार्थनापत्र भेजते हुए अनुरोध किया था कि यह राशि सीधी उनको भेजी जाये। उन्होंने लिखा था कि उनका मतभेद खादी प्रतिष्ठानके कार्यक्रमसे उतना नहीं है जितना खादी प्रतिष्ठानके संचालकोंसे है (एस० एन० ११२२७ )।
  3. देखिए "थोपा हुआ वैधव्य " ५-८-१९२६ ।