१. पत्र : जमनालाल बजाजको
आश्रम
साबरमती
मंगलवार [१५ जून, १९२६ ][१]
आज तुममें से किसीका भी पत्र नहीं मिला। देवदासके पत्रकी अवश्य उम्मीद की थी। यदि तुम २६ तारीखको नहीं आ सकते तो कोई हर्ज नहीं देखता। लेकिन यह केवल स्वास्थ्य की दृष्टिसे ही। भाई अमृतलाल सेठने[२] आज मुझे एक सूची भेजी है। तुम जब यहाँ आओगे तब तुम्हें चार-पाँच दिनके लिए काठियावाड़ जाना होगा, यह निश्चित ही समझो।
बापू के आशीर्वाद
गुजराती पत्र ( जी० एन० २८६७) की फोटो-नकलसे।
२. पत्र : गंगाबहन मजमूदारको
ज्येष्ठ सुदी ५, १९८२ [१५ जून, १९२६]
आपका पत्र मिला। देखता हूँ कि मैं अभीतक आपको समझाने में असमर्थ रहा हूँ। आपके सामने मैंने पंच नियुक्त करनेका सुझाव रखा है। आप यदि इसे भी स्वीकार नहीं करतीं और जिस मनुष्यको मैं भेजता हूँ उसे मालकी जाँच भी नहीं करने देतीं तो मैं लाचार हूँ। आप जैसे सोचती हैं वैसे माल खरीदनेके लिए मैं किसी भी तरह बँधा नहीं हूँ। आपको जो दस हजार रुपया दिया गया है उसे बचाना मेरा कर्म है। आपसे यह मेरी अन्तिम प्रार्थना है; लेकिन यदि आप किसी भी तरह तैयार नहीं होती तो लाचार होकर मुझे वकीलका आश्रय लेना पड़ेगा।
बापू
गुजराती पत्र (एस० एन० १०९४२) की माइक्रोफिल्मसे।