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३७१. पत्र : घनश्यामदास बिड़लाको

१ सितम्बर, १९२६

भाईश्री घनश्यामदासजी,

आपका पत्र मीला है। आपके मंत्रीका उत्तर भी मैंने पढ़ लीया है। आपको अब कुछ ज्यादे करनेका नहीं रहेता है।आपका स्वास्थ्य अच्छा हुआ है क्या? जमनालालजी आजकल यहीं हैं।

आपका,
मोहनदास

श्री घनश्यामदासजी बीरला,
पीलानी रजपुताना
मूल पत्र (सी० डब्ल्यू० ६१३४) की नकलसे।
सौजन्य : घनश्यामदास बिड़ला

३७२. तार : हरिहर शर्मा[१]

[१ सितम्बर, १९२६ या उसके पश्चात् ]

सम्मेलन होने जा रहा है। मंगलवारके आसपास यहाँ पहुँच जाओ। अवकाश तो है? अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ११२९८) की माइक्रोफिल्मसे।

३७३. टिप्पणियाँ

एक महान् उद्योगपति

श्री रतन टाटाकी मृत्युसे हमारे बीचका एक महान् उद्योगपति उठ गया है। जमशेदपुर एक जबर्दस्त भारतीय व्यापारी पेढ़ीका जबर्दस्त औद्योगिक प्रतिष्ठान है। रतन टाटा महान् टाटा परिवारके एक प्रसिद्ध सदस्य थे। जब उन्होंने अपने कर्मचारियों के साथ नाइत्तिफाकी होनेके कारण मुझे आमन्त्रित किया था तब मुझे उनके निकट सम्पर्कमें आनेका गौरव मिला था। यह देखकर मुझे सुखद आश्चर्य हुआ कि उन्हें अपने कर्मचारियोंके प्रति पूर्ण सहानुभूति है और वे उनकी उस प्रत्येक माँगको, जो

  1. यइ १ सितम्बरके इस तारके उत्तरमें भेजा गया था। "मंगलवारके आसपास पहुँच रहा हूँ। आप अपनी सुविधा तार द्वारा हरिहर शर्माको सूचित करें।