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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


निस्सन्देह ये विचार अच्छे हैं। लेकिन जिन हिन्दू उपजातियोंमें पुनर्विवाह वर्जित है केवल उन्हींमें यह बन्धन है। इन उपजातियोंको छोड़कर शेष सभी हिन्दू जातियोंमें विधवाएँ करीब-करीब उतनी ही आजादीसे विवाह करती हैं जितनी आजादीसे ईसाइयों और मुसलमानोंमें। हाँ, इन्साफकी रूसे यह कहना मुनासिब होगा कि सभी ईसाई या मुसलमान विधवाएँ “आगे या पीछे" पुनविवाह नहीं कर लेतीं। ऐसी बहुतसी विधवाएँ हैं जो स्वेच्छासे अविवाहिता बनी रहती हैं। यह बात तो बेशक है कि जिन जातियोंमें पुनविवाह मना है उनके अतिरिक्त अन्य जातियोंकी प्रवृत्ति "उच्च कहलानेवाली जातियोंकी देखा-देखी अपनी जातिकी विधवाओंको अविवाहित रखनेकी होती है। लेकिन जबतक हमें पूरे आँकड़े नहीं मिलते, तबतक यह ठीक-ठीक बताना मुश्किल है कि विधवाओंको पुनविवाह निषेधक प्रथासे कितना नुकसान पहुँचा है। आशा है कि सर गंगारामकी संस्था और अन्य संस्थाएँ, जिन्होंने इस मामलेको विशेष रूपसे हाथमें लिया है, जरूरी आंकड़े इकट्ठा करके छपवायेंगी। इस बातका ठीक-ठीक पता लगा लेना अवश्य शक्य है कि जिन 'उच्च' जातियोंमें पुनर्विवाह वर्जित है, उनमें २० वर्षसे कम उम्रकी विधवाएँ कितनी हैं।

उक्त पत्र लिखनेवालेको, जिन्होंने कि शायद पुनर्विवाहके विरुद्ध प्रचलित बन्धनको न्यायसंगत ठहरानेकी इच्छासे प्रेरित होकर मुझे पत्र लिखा है तथा ऐसे ही विचार रखनेवाले अन्य लोगोंको भी, उन बुराइयोंको न भूल जाना चाहिए जो युवती विधवाओंके पुनर्विवाह निषेधके कारण उत्पन्न होती हैं। यदि एक भी बालविधवा अविवाहित हो तो इस अन्यायको मिटाना ही जरूरी है।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, २-९-१९२६

३७६.बाइबिल' पढ़नेका गुनाह

कई पत्रप्रेषकोंने अपने-अपने पत्रोंमें मुझे इस बातपर आड़े हाथों लिया है कि मैं गुजरात विद्यापीठके विद्यार्थियोंको 'न्यू टेस्टामेंट' क्यों पढ़ाता हूँ। इनमें से एकने मुझे लिखा है :

क्या आप कृपा करके बतायेंगे कि आप गुजरात विद्यापीठके विद्यार्थियोंको 'बाइबिल' क्यों पढ़ाते हैं? क्या हमारे साहित्यमें कोई ऐसी उपयोगी पुस्तक नहीं हैं? क्या आपको निगाहमें 'गीता' 'बाइबिल' से कम है? आप यह बात बराबर कहा करते हैं कि में पक्का सनातनी हिन्दू हूँ? अब क्या आप छिपे हुए ईसाई नहीं निकले? आप यह भले ही कहें कि कोई भी मनुष्य 'बाइबिल' पढ़ने- मात्रसे ईसाई नहीं बन जाता। परन्तु क्या लड़कोंको 'बाइबिल' पढ़ाना उनको ईसाई बनानेका एक तरीका नहीं है? क्या उनपर 'बाइबिल' पढ़नेका असर हुए बिना रह सकता है? क्या ऐसा करने में उनके ईसाई बन जानेकी