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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

करूँगा कि जब मेरी देहका सम्पूर्ण दमन होगा— जैसा कि एक दिन उसे होना ही चाहिए— तब मुझे प्रकाशके दर्शन होंगे। मेरे कृपालु पत्र-लेखक महाशय मेरी स्थितिको समझकर मेरी चिन्ता करना छोड़ दें; परन्तु जबतक उन्हें यह सन्तोष न हो कि वह प्राप्त हो गया है, उसे ढूंढनेमें तबतक मेरा साथ दें।

गोशालाके व्यवस्थापकोंको

कुछ दिनों पहले अखिल भारतीय गोरक्षा मण्डलके मन्त्रीने जानकारी इकट्ठी करने के उद्देश्य से मुख्य- मुख्य गोशालाओं और पिंजरापोलोंके व्यवस्थापकोंको प्रश्नावली के साथ एक पत्र भेजा था। अबतक बहुत कम लोगोंने उसका उत्तर दिया है। प्रश्नावली हमारे पास है। जो चाहें वे मन्त्री, गोरक्षा मण्डल, साबरमतीके पतेपर लिखकर उसे मँगा ले सकते हैं। श्री चौंडे महाराजने महाराष्ट्रकी अधिकांश गोशालाओं में स्वयं जाकर उनका विस्तृत विवरण मण्डलको भेजनेका भार उठा लिया है। मैं उम्मीद करता हूँ कि वहाँके व्यवस्थापक लोग उनको पूरा विवरण देंगे। मुझे यह कहनेकी तो कोई जरूरत नहीं है कि अखिल भारतीय गोरक्षा मण्डलका उन गोशालाओंपर किसी प्रकारका अधिकार जमानेका तनिक भी इरादा नहीं है। मण्डलकी यही इच्छा है कि वह सारे विवरणोंको मिलाकर और सुसम्बद्ध ढंगसे उन्हें प्रकाशित करके सारे न्यासियों और व्यवस्थापकों के पास भेजे और मुनासिब सलाह देकर उनकी मदद करे। यदि गोशालाएँ चाहें तो अपनेको मण्डलसे सम्बद्ध कर सकती हैं और उससे सलाह भी ले सकती हैं। इसके साथ-साथ मण्डल गोशिक्षा-विशारदोंकी शीघ्र ही सेवा प्राप्त करनेकी जो आशा रखता है उससे भी लाभ उठाया जा सकेगा। परन्तु गोशालाएँ तथा पिंजरापोल मण्डलसे अपनेको सम्बद्ध करें या न करें, मण्डल इसे अपना कर्तव्य समझता है कि उसके पास गोरक्षा सम्बन्धी जो-कुछ भी जानकारी आये, उसे वह इन गोशालाओंको पहुँचाए। यह लिखनेकी जरूरत नहीं कि यदि ये १,५०० गोशालाएँ सुनियोजित ढंगसे प्रयत्न करें और अपनी व्यवस्थाको कार्यक्षम बनायें तो इनसे आज जितने जानवरोंकी रक्षा होती है, इससे कहीं ज्यादाकी रक्षा हो सकेगी। यह सच है कि मण्डलके साथ जुड़ जानेवाली संस्थाओंपर कुछ जिम्मेदारी आ जायेगी। अपने हित और व्यवस्थाके लिए बनाये हुए नियमोंका उन्हें पालन करना होगा और अपनी आयका एक हिस्सा अ० भा० गो० मण्डलको देना पड़ेगा। परन्तु वे मण्डलके साथ सम्बद्ध हों या न हों, यह उनकी खुशीकी बात है। यह टिप्पणी तो विवरण प्राप्त होनेकी दृष्टिसे ही लिखी गई है।

दक्षिण आफ्रिकी कानून

श्री एन्ड्रयूजने और मैंने जो चेतावनी दी थी यदि उसपर जोर देनेकी जरूरत बाकी रह गई हो तो यहाँ मैं दक्षिण आफ्रिकासे प्राप्त एक पत्रका अंश देता हूँ :

मैं यह अनुभव करता हूँ कि सरकार रंगभेद प्रतिबन्ध सम्बन्धी विधेयकको पास करके भारत सरकार और भारतीयोंको दिया गया अपना वचन भंग कर रही है। उसने इससे भी आगे बढ़कर नेटाल प्रान्तीय शिक्षा अध्यादेश जारी कर दिया है। यदि यह अध्यादेश पास कर दिया गया तो इसका अर्थ यह होगा