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४६२. पत्र: सी॰ एफ॰ एन्ड्रयूजको

[१९ सितम्बर, १९२६][१]

प्रिय चार्ली,

'बम्बई समाचार' ने गलतीसे मुझे एन्ड्रयूज समझ लिया और सूचना प्रकाशित कर दी कि मैं बीमार हूँ और अनुमान लगाया कि मैं शिष्टमण्डलसे मिलने नहीं पहुँच सकूँगा। अगर तुम मुझसे सन्देश लेकर आये होते तो कितना अच्छा रहता? लेकिन यह एक अफवाह ही निकली। श्रीमती नायडूके कमरेमें मैंने शिष्टमण्डलके सभी सदस्योंसे देरतक गपशप की। हम अधिकांशत: खद्दरपर बातें करते रहे। उन्होंने जानना चाहा कि मैंने इतने भारी कपड़े क्यों पहन रखे हैं। इसके उत्तरमें मैंने उन्हें खद्दरपर अच्छा खासा उपदेश दे डाला—जिसे उन्होंने गहरी दिलचस्पीसे सुना। जहाँगीर कहीं नहीं दिखा। सर हबीबुल्लासे मिला और उनके साथ देरतक बातचीत की।

हाँ, मैं शायद कल वहाँ आऊँ और कातकर तुम्हारा मन बहलाऊँ। तुम जब तक जाने लायक अच्छे नहीं हो जाते तबतक तुम्हें नहीं जाना चाहिए।

सस्नेह,

तुम्हारा,
मोहन

अंग्रेजी पत्र (जी॰ एन॰ २६३६) की फोटो-नकलसे।

४६३. तार: जमनालाल बजाजको

साबरमती
२० सितम्बर, १९२६

जमनालाल बजाज


श्री


बम्बई

ईश्वरको धन्यवाद। विस्तृत जानकारीकी बेचैनीसे प्रतीक्षा कर रहा हूँ।

बापू

[अंग्रेजीसे]
पाँचवें पुत्रको बापूके आशीर्वाद
  1. गांधीजी १९ सितम्बरको बम्बईमें शिष्टमण्डलसे मिले और अगले दिन अहमदाबादके लिए रवाना हो गये थे।
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