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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

"नहीं"। परन्तु मैं उसकी विवेकहीन वृद्धिके विरुद्ध हूँ। मैं तमाम नाशकारी यन्त्रोंके सर्वथा विरुद्ध हूँ। परन्तु सादे औजार, ऐसे साधन और यन्त्रोंका मैं अवश्य स्वागत करूँगा जो व्यक्तियोंकी मजदूरीको बचाते हैं और झोंपड़ियोंमें रहनेवाले करोड़ों लोगोंका बोझ हलका करते हैं।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १७-६-१९२६

१३. खादी केन्द्रोंके व्यवस्थापकोंसे

देशके विभिन्न खादी केन्द्रोंके बारेमें अभी हालमें मैंने जो दिलचस्प जानकारी प्रकाशित की है उसे पाठकोंने पढ़ा होगा, अब मैं खादी केन्द्रोंसे इतनी तफसील और चाहता हूँ :

(१) केन्द्रमें कतैयोंको रोजी मिल रही है? कतैयोंका मजहब, वे पुरुष हैं या स्त्री, और यदि सम्भव हो तो यह भी लिखें कि उनमें से प्रत्येक की उम्र क्या है? कताईसे उनको औसतन कितनी मासिक कमाई हो रही है? वे किस अंकका सूत कात रहे हैं? महीनेमें कुल कितना सूत आ जाता है? काम कितने गाँवोंमें फैला है?

(२) यदि कपासकी ओटाई हाथसे की जाती है, तो कितनी कपास ओटाई गई और किस दरसे? कितने ओटनेवाले लगाये गये? उन्हें कुल कितनी रकम मिली?

(३) यदि रुई पेशेवर धुनियों द्वारा धुनवाई जा रही है, तो कितने धुनियों और कितने पूनी बनानेवालोंसे काम लिया गया? धुनाईकी दर, उनको मजदूरीके रूपमें प्रति मास कुल कितनी रकम मिली?

(४) कितने बुनकरोंसे काम लिया गया? उनको बुनाई किस दरसे दी गई? बुनाईके रूपमें कुल मिलाकर उन्हें कितना रुपया मिला? केन्द्रमें कुल कितनी खादी (गजोंमें) तैयार हुई? उसका अर्ज क्या था और वह तीलमें कितनी थी?

(५) शुरूसे लेकर बुनाईतक खादीकी कुल लागत और उसका विक्रय मूल्य, स्थानिक विक्री कुल मिलाकर कितनी हुई? अन्य विक्री?

(६) दफ्तरका खर्च। कितने पुरुष और स्त्री वेतन लेकर या अवैतनिक रूपसे उस केन्द्र में काम कर रहे हैं? आशा है कि जिनकी नजरसे यह अनुच्छेद गुजरेगा वे सभी अधीक्षक कृपा करके अपने कार्यका विवरण भेज देंगे। मेरा अनुरोध है कि खादी-प्रचार आन्दोलनके लिए उपयोगी अन्य जानकारी भी व्यवस्थापकगण लिख भेजनेकी कृपा करें।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १७-६-१९२६