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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कोई कारण नहीं । तुम्हारी शारीरिक शक्तिमें बेशक, मेरा विश्वास हिल गया है, परन्तु प्रेम विचलित नहीं हुआ। चूँकि तुम सच्चा प्रयत्न करनेवाली हो, इसलिए शारी- रिक शक्ति आ ही जायेगी ।

सुरेन्द्रजीका सुझाव है कि तुम्हें अलग काम करना चाहिए। जरूरत हो तो वैसा करना । किसी भी बातको लेकर शरीर अथवा मनपर ज्यादा जोर मत डालना।
सप्रेम,

बापू

साथका कागज छगनलाल जोशीके लिए है।[१]
अंग्रेजी (सी० डब्ल्यू० ५२८१) से।
सौजन्य : मीराबहन

५१. भाषण : विरुधुनगरकी सार्वजनिक सभामें

२ अक्टूबर, १९२७

नगरपालिकाके अध्यक्ष तथा मित्रो,

आपने ये जो अनेक अभिनन्दनपत्र और थैलियाँ भेंट की हैं, उनके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ। आपने अपने सभी अभिनन्दनपत्रोंको पढ़नेका अपना अधि- कार छोड़ दिया, इसकी मैं कद्र करता हूँ। यदि आपने पढ़नेपर आग्रह किया होता तो एक अभिनन्दनपत्रपर शायद आधा घंटा लगता। लेकिन आपने कृपापूर्वक मुझे इनके जो अनुवाद दिये हैं, मैंने उनको पढ़नेकी कोशिश की है। सबसे पहले मैं आपको यहाँ हिन्दू-मुसलमानोंके सद्भावपूर्ण सम्बन्धोंके लिए बधाई देता हूँ। आपके यहाँ एक सुप्रवन्धित पुस्तकालयका होना, एक धर्मशालाकी स्थापना, रेलवे यात्रियोंकी शिकायतें दूर करानेके लिए एक संघका होना, यह सब इस महत्त्वपूर्ण केन्द्रमें चालू सद्प्रवृत्तियोंके परिचायक हैं। मुझे मालूम हुआ है कि यह स्थान नाडर मित्रोंका सबसे महत्त्वपूर्ण केन्द्र है। मुझे यह भी ज्ञात हुआ है कि वे दिनोंदिन आगे आ रहे हैं और देशमें चल रही सभी महत्त्वपूर्ण हलचलोंमें अपना उचित स्थान बना रहे हैं। आपने मुझे बताया है कि आपकी नगरपालिका अभी हाल ही में स्थापित हुई है। मैं नहीं समझता कि यह आवश्यक रूपसे एक नुकसानदेह स्थिति ही है, क्योंकि नई नगरपालिका होनेसे आपको सुस्त चाल या उपेक्षाभाव विरासतमें नहीं मिले हैं। आप अपने लिए नये और मौलिक पथका निर्माण कर सकते हैं और यदि आप चाहें तो सफाईके मामले में सबसे आगे बढ़ कर रास्ता दिखा सकते हैं। बम्बईकी तरफ हमारे यहाँ नगरपालिकाके लिए गुजरातीमें एक बहुत ही अर्थपूर्ण शब्द है।

  1. १. यह उपलब्ध नहीं है।