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भाषण: राजापालयम्के खादी वस्त्रालयमें

सौन्दर्य प्रदान करता है। गांधीजीने उनको सलाह दी कि वे अपने बच्चोंपर जेवर न लादें, बल्कि उन्हें अच्छी शिक्षा और प्रशिक्षण दें। उन्होंने उनसे अपनी लड़कियोंका विवाह १६ या १७ वर्षकी आयुसे पहले न करनेका भी अनुरोध किया।

[ अंग्रेजीसे ]
हिन्दू, ६-१०-१९२७

५९. भाषण: राजापालयस्के खादी वस्त्रालय में

४ अक्टूबर, १९२७

इस शुभ कार्यके लिए धन प्राप्त करनेमें कोई कठिनाई नहीं होगी।[१] लेकिन आपको सदैव मुनाफेका ही ध्यान नहीं करना चाहिए। जब कोई व्यक्ति निजी मुनाफा कमाने और हिस्सेदारोंको बड़े-बड़े लाभांश देनेके लिए किसी मिल आदिमें पूंजी लगाता है तो वह भी, जैसा कि आपमें से कुछ लोग जानते हैं, कुछ वर्षातक कोई मुनाफा नहीं पाता। लेकिन मैं चाहता हूँ कि आप लोग मिल-मालिककी अपेक्षा ज्यादा ऊँचा उद्देश्य सामने रखें । अर्थात् आप पूंजीपर कुछ मुनाफा कमानेका आग्रह मले ही रखें, लेकिन आपको भारी मुनाफा कमानेकी इच्छा नहीं करनी चाहिए।[२] याद रखिए कि दुनियाकी बड़ी-बड़ी व्यापारिक संस्थाएँ मुनाफेके लिए अपनी चीजोंको ऊँची दरोंपर बेचनेपर नहीं, बल्कि अपने व्यवसायके विस्तारपर निर्भर करती हैं। बैंक ऑफ इंग्लैंड संसारका सबसे बड़ा वित्तीय निगम है, और सबसे ज्यादा प्रभावशाली है। उसकी जैसी साख है वैसी साख शायद ऐसे किसी निगमकी नहीं है, और वास्तवमें इस निगमका इतिहास परियोंकी कहानीकी तरह रोचक है। उस निगमको उसकी वर्तमान स्थिति प्रदान करने में कुछ सर्वोत्तम अंग्रेजोंने अपना खून-पसीना एक कर दिया। इस निगमने विलक्षण आत्मविश्वास प्राप्त कर लिया है, क्योंकि उसने छोटी लागतपर भारी मुनाफा न कमानेका सिद्धान्त बना लिया है। मुनाफा वह अवश्य कमाता है, लेकिन वह उसकी मारी लागतका फल होता है। इसलिए मैं आशा करता हूँ कि आप भारी मुनाफा कमानेको अपना लक्ष्य नहीं बनायेंगे, बल्कि कतैयोंके हितोंको सर्वोपरि स्थान देंगे। आप आपसमें झगड़ेंगे नहीं, और यदि आप वास्तविक एकता कायम कर लेंगे और अपनी निजी महत्वाकांक्षाओंको मर्यादित रखेंगे तो कोई कारण नहीं है कि आप बैंक ऑफ इंग्लैंडसे भी ज्यादा व्यापक साख स्थापित करनेकी आकांक्षा मनमें न रखें। आखिरकार बैंक ऑफ इंग्लैंडके ग्राहक धनाढ्य और बड़े-बड़े लोग हैं और उनके नाम तथा लेखे एक काफी बड़े रजिस्टरमें ही रखे जा सकते हैं, लेकिन आपके ग्राहक तो इतने ज्यादा हैं कि उनके नाम लिखने लायक बड़ा रजिस्टर हो ही नहीं

  1. १. यहाँ तीन खादी उत्पादन केन्द्रोंके प्रस्तावित विलपनका जिक्र है।
  2. २. इसके आगेका पाठ यंग इंडिया, १३-१०-१९२७ में प्रकाशित " साप्ताहिक पत्र " से लिया गया है। ३५-६