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भाषण : तिन्नेवेल्लीकी सार्वजनिक सभामें

होता है। जब अस्पृश्यताका सचमुच अन्त हो जायेगा और वह अतीतकी चीज बन जायेगी तब आप अपने बीच वह नहीं पायेंगे जो मैं आगे बताने जा रहा हूँ ।

मैं अपने साथ जो कागज लाया हूँ उनमें एक दुखद पत्र है, जो मुझे इस स्थानके एक निवासीने लिखा है। वह मुझे बताता है कि आपकी नदी ताम्रपर्णीके पानीको यहाँके नागरिक गन्दा कर देते हैं। वह मुझे बताता है कि जहाँ स्वास्थ्य अधिकारी हैजा रोकनेके लिए आपके शरीरमें इंजेक्शन लगाते हैं, वहीं आप खुद नदीके पानीको तरह-तरहसे गन्दा करके उसमें हैजेके कीटाणु छोड़ते रहते हैं। यहाँकी नगरपालिकाने मुझे इस बातपर धन्यवाद दिया है कि मैंने कई स्थानोंपर नगरपालिकाके काम- काजकी कुछ बुराइयोंके बारेमें खुले तौरपर बातें कही हैं। नगरपालिकाके सदस्योंने मुझे बताया है कि वे इन भाषणोंसे लाभ उठानेकी आशा करते हैं। मैं पूरी आशा करता हूँ कि उनकी यह आशा निकट भविष्यमें पूरी हो जायेगी। मैं यह सुझाव देना चाहूँगा कि आप अपने इस कार्यकी शुरुआत यों कीजिए कि नदीके तटपर जो गन्दगी सुबहसे शामतक जमा हो जाती है उसे प्रतिदिन सुबह साफ कीजिए। आपने ध्यान दिया होगा कि मैं इस बुराईका सम्बन्ध भी अस्पृश्यतासे जोड़ता हूँ। मैं केवल निजी अनुभवसे ही नहीं, बल्कि भारतके हजारों आदमियोंके अनुभवसे यह बात कहता हूँ । दुर्भाग्यवश, अस्पृश्यताके कारण हमने अपनी सफाईकी ओर स्वयं ध्यान न देनेकी आदत डाल ली है। हम तथाकथित उच्च जातिवाले लोग अपनी सफाईकी ओर स्वयं ध्यान नहीं देते। इसे हम अपने अहंकार और पूर्वग्रहके कारण खास तौरपर अस्पृश्योंका काम समझते हैं। और अपने इन देशवासियोंके प्रति एक प्रकारकी तिरस्कार-भावना आ जानेके कारण हम यह भी नहीं देखते कि वे क्या काम करते हैं और कैसे करते हैं। इन बेचारोंको सफाई और स्वच्छताके बुनियादी नियम भी कभी नहीं बताये गये हैं। और इसी कारण नदीका तट हो या अन्य कोई जगह हो, वह इन लोगों द्वारा सफाई करनेके बाद भी ज्योंकी-त्यों गन्दी रहती है। आप शायद न जानते हों कि इस गम्भीर त्रुटिको दूर करनेके लिए ही मुझे अहमदाबादमें कांग्रेसके कामके लिए भंगियोंका एक दस्ता खड़ा करना पड़ा था जिसमें अस्पृश्य नहीं, बल्कि ब्राह्मण और अब्राह्मण स्वयंसेवक थे। यदि आप अच्छी तरह और बिना खर्च उठाये सफाई आदि करना चाहते हैं तो आपमें से हरएकको स्वयं अपने भंगीका काम करना चाहिए। जो माँ अपने बच्चेके लिए भंगीका काम नहीं करती, वह माँ नहीं रह जाती । तनिक-सा विचार करनेसे आप देख सकेंगे कि आपमें से जिनको भी अपने नगरके कल्याणका ध्यान है, उन सबको ऐसी माँ की स्थिति अपनानी पड़ेगी। मेरे मनको अपनी यात्रामें यह जानकर बड़ा आनन्द होगा कि आपने भंगीका काम भी स्वयं करनेका निश्चय किया है

मैं कई ऐसे सामाजिक प्रश्नोंकी चर्चा छोड़ रहा हूँ, जिनके बारेमें मैं कुछ कहना चाहता था । विरुधुनगरके अपने नाडर मित्रोंको दिया गया अपना वचन मुझे नहीं भूलना चाहिए। आपने शायद अखबारोंमें इस क्षेत्रीय अस्पृश्यताके बारेमें पढ़ा होगा । तिन्नेवेल्ली और मदुरै जिलेके हिन्दुओंके लिए यह बड़ी लज्जाकी बात है कि वहाँके