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८०. पत्र : देवचन्द पारेखको

[११ अक्टूबर, १९२७ ]

[१]

भाईश्री देवचन्दभाई,

तुम्हारा पत्र मिला। भाई अमृतलाल ठक्कर तो ऐसा मानते हैं कि अब परिषदका[२] अधिवेशन नहीं होगा। तुम्हें खबर है कि इस वर्षका नहीं ही हुआ है। मुझे लगता है कि अब परिषदको नया मोड़ दिया जाना चाहिए। अपनी आजकी मानसिक स्थिति में मेरा उसके साथ मिलकर काम करना सम्भव नहीं रह गया है, बल्कि मुझे भय है कि मैं उसके लिए कड़वा घूंट सिद्ध हो सकता हूँ । इसलिए क्या यही बेहतर नहीं होगा कि नई बुनियादपर नया निर्माण किया जाये ?

बापूके आशीर्वाद

यात्राका कार्यक्रम :
१६-१७ कोयम्बटूर
१८ पोलाची
१९ तिरुपुर
२० गोबीचेट्टिपलायम्
२१ एरोड
२२ सेलम
२३-२४ तिरुचेङ्गोड
२५ कालीकट
२६-३१ मंगलोर
१९ नवम्बरतक लंका
भाईश्री देवचन्दभाई पारेख, बैरिस्टर
जैतपुर
गुजराती (जी० एन० ५६९२) की फोटो-नकलसे ।
 
  1. १. डाककी मुहरसे।
  2. २. काठियावाड़ राजनीतिक परिषद |