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भाषण : अलेप्पीकी सार्वजनिक सभा में

जिस खादीके सिलसिले में वास्तव में इस बार त्रावणकोर आया हूँ, उसकी चर्चा करनेसे पहले मैं एक अन्य महत्त्वपूर्ण विषयकी चर्चा करूंगा। मैं शराबखोरीकी बुरी लतका जिक्र करना चाहता हूँ। जो लोग इस भयंकर लतके शिकार हैं, वे समझ लें कि यह एक ऐसी आदत है जो मनुष्यको मनुष्य नहीं रहने देती। जो आदमी शराबके नशेमें होता है, वह पत्नी और बहनमें भेद नहीं करता । इतिहास में अंकित कुछ बहुत बड़े अपराध नशेकी हालतमें किये गये हैं। मैंने खुद अपनी आँखोंसे दक्षिण आफ्रिकामें कुछ ऐसे लोगोंको नशेकी हालतमें नालीमें लोटते देखा है जो अन्यथा बहुत सम्भ्रान्त माने जाते थे। त्रावणकोरके शराब न पीनेवाले लोगोंका कर्तव्य है कि वे सरकारको आबकारी राजस्व समाप्त करनेके लिए विवश कर दें। मैं इसे आमदनीका एक अनैतिक जरिया मानता हूँ। यह वास्तवमें आपका कर्त्तव्य है कि जबतक इस राज्यसे शराबकी बुराई दूर नहीं हो जाती, तबतक आन्दोलन करते रहें। इस भूमिको, जिसे प्रकृतिने सौन्दर्यसे मंडित किया है, शराबके अभिशापसे दुर्गन्धित मत रहने दीजिए। और यदि आप हिन्दू, ईसाई और मुसलमानकी हैसियतसे मानवकी बुनियादी एकताको समझते हैं और अपने पड़ोसियोंको अपने ही भाई-बहन समझते हैं, तो यह आपका कर्त्तव्य है कि जिन लोगोंको शराबकी लत है, उनके बीच जायें और नम्रतासे समझा-बुझाकर उन्हें इस लतसे मुक्त करें। मैं पूर्ण मद्यनिषेधको कतई आवश्यक मानता हूँ, क्योंकि जबतक किसी शराबीके रास्ते में प्रलोभन रखा जायेगा तबतक कितना ही समझाया-बुझाया जाये, वह इस चीजसे दूर नहीं रह सकता। इसलिए शराबी लोगोंके बीच और राज्यके विरुद्ध आन्दोलन एक साथ चलने चाहिए।

अब मेरे लिए चरखेके सन्देशको लेकर आपका बहुत समय लेना जरूरी नहीं होना चाहिए। आपकी थैलियाँ खादीमें आपके विश्वासकी द्योतक हैं। लेकिन अगर आप मानते हों कि मेरे मुँहपर कुछ रुपये मारकर आपने लाखों गरीब लोगोंके प्रति अपना कर्त्तव्य पूरा कर दिया है तो आप भ्रममें हैं। जिस खादीके उत्पादनके लिए मैं करोड़ों मेहनतकश लोगोंके पवित्र हाथोंके जरिये काम करना चाहता हूँ, यदि आप उसी खादीको पहनने से इनकार कर दें तो अपने दौरेमें मुझे जो थैलियाँ मिलती रही हैं, मैं उनका कोई उपयोग नहीं कर पाऊँगा और वे मेरे लिए असह्य बोझ बन जायेंगी। इसलिए मैं आपके इन उपहारोंको आपका दिया यह वचन मानता हूँ कि अबसे आप अपने पहनने तथा अन्य घरेलू कामोंके लिए खादी और केवल खादीका ही उपयोग करेंगे। आपको चरखेके जरिये त्रावणकोरके गाँवोंको भी संगठित करनेका प्रयत्न करना चाहिए। सारे देशमें कताईका वातावरण तैयार करनेके लिए यह जरूरी है कि हम सब यज्ञके भावसे और उदाहरण प्रस्तुत करनेके लिए कताई करें। और यदि हमें चरखेके जरिये गाँवोंको संगठित करना है तो यह भी जरूरी है कि होशियार लोग कताईमें निपुणता प्राप्त करें। त्रिवेन्द्रम् में मुझे यह जानकर बड़ी खुशी हुई थी कि राज्यके स्कूलोंमें चरखा शुरू करानेके लिए राज्य सरकारने अमुक राशि पहले ही स्वीकार कर दी है। यह देखते हुए कि त्रावणकोरकी महिलाएँ शुद्ध धवल वस्त्र ही पहनती हैं, त्रावणकोरमें खादीको लोकप्रिय बनाना भारतके किसी भी स्थानकी