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१०४. तार : विट्ठलभाई झ० पटेलको

२० अक्टूबर, १९२७

दयालजी अभी पहुँचे, आपका तार भी । लंकाका कार्यक्रम बदलना कठिन है । उसके बाद बुलानेपर खुशीसे दिल्ली या अन्यत्र जाऊँगा । मेरी रायमें इस समय मैं कूटनीतिक तरीकोंसे उपयोगी सेवा कर सकूं, ऐसी मुझे आशा नहीं है। यदि मेरी सीमाओंके बावजूद मेरा फौरन दिल्ली आना जरूरी लगे तो मैं लंकाकी यात्रा स्थगित करके दिल्ली आनेको तैयार हूँ बशर्ते निमन्त्रण घोषित किया जाये, और भेंटके सार-संक्षेपके बारेमें स्वीकृत वक्तव्य प्रकाशित करनेकी अनुमति हो । यदि आप इसे सन्तोषजनक मानें तो उचित जगह इस तारका पूरा पाठ भेज दें, लेकिन निजी तौरपर मैं आपसे कहूँगा कि मुझे इस मामले से अलग रखें। मैं कलतक यहाँ, चौबीसतक तिरुपुरमें और पच्चीसको कालीकट में होऊँगा ।

[ अंग्रेजीसे ]
विठ्ठलभाई पटेल, लाइफ ऐंड टाइम्स, खण्ड २

१०५. तार : विट्ठलभाई झ० पटेलको

[१]

२० अक्टूबर, १९२७

सख्त हैं आपका तार मिला । मेरी रायमें शर्तें न अपमानकारी हैं न बल्कि सार्वजनिक हितमें वांछनीय हैं । पूरा पाठ तारसे भेजिए |

अंग्रेजी (एस० एन० १२८६४) की फोटो-नकलसे ।

 
  1. १. यह तार विठ्ठलभाई पटेलके २०-१०-१९२७के इस तारके उत्तरमे था: "आपके तारका पूरा पाठ मैं उपयुक्त जगहोंपर भेजूं, इससे पहले फिरसे अनुरोध करूंगा कि आप बिना शर्त निमन्त्रण स्वीकार करें। यदि आपका यही रुख रहा तो मैं पूरा पाठ भेज दूंगा और आपको उत्तर सूचित करूंगा। कृपया तुरन्त तार दें । ”