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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

एकता सम्मेलनका जिक्र करते हुए गांधीजीने कहा कि मुझे उसके लिए विशेष रूपसे निमंत्रित नहीं किया गया था, लेकिन अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी और कार्यसमितिका सदस्य होने के नाते साधारण परिस्थितियोंमें मैंने सम्मेलनमें भाग लिया होता। मैंने सम्मेलनमें इसलिए भाग नहीं लिया कि मेरी सेवाएँ उसमें किसी भी तरह उपयोगी न होतीं ।

पत्र-प्रतिनिधिने उनसे पूछा : चूँकि हिन्दू-मुस्लिम एकताका सवाल बहुत महत्त्वपूर्ण है, अतः क्या आप ऐसा नहीं सोचते कि यदि आपने सम्मेलनकी कार्यवाहीमें अपना सहयोग दिया होता तो समस्याका मैत्रीपूर्ण हल निकलने में उससे बहुत मदद मिलती ?

[ गांधीजी: ] मैं मानता हूँ कि यह एक बहुत महत्त्वपूर्ण प्रश्न है । यदि मैं सम- झता कि मैं सम्मेलनकी कार्यवाहीमें मदद दे सकता हूँ तो निश्चय ही में अपना दौरा स्थगित करके कलकत्ता गया होता । संक्षेपमें, मैं इतना ही कहता हूँ कि एकता स्थापित करनेके तरीकेके बारेमें मेरे विचार कुछ अनोखे ढंगके हैं, जिन्हें वर्तमान वातावरणमें स्वीकार नहीं कराया जा सकता। इसलिए मैं मदद देनेके बजाय बाधा ही साबित होऊँगा । अतः मुझे लगा कि मेरा शामिल न होना भी एक तरहकी सेवा ही है ।

महात्माजीने कहा कि मेरे उन अनोखे विचारोंको 'यंग इंडिया' के पृष्ठोंमें देखा जा सकता है।[१]

पत्र-प्रतिनिधिके पूछने पर गांधीजीने कहा :

सार्वजनिक मामलेमें मुझसे कोई बात जाननेके लिए यदि कोई मुझे निमन्त्रण देता है तो मैं कभी उसे अस्वीकृत नहीं करता ।

उन्होंने यह भी कहा कि मैं किसीका भी प्रतिनिधि होकर वाइसरायसे मिलने नहीं जा रहा हूँ। कलकत्तेके एकता सम्मेलन के बारेमें कुछ प्रश्न करनेपर महात्माजीने कहा :

मैं सम्मेलनमें निमन्त्रित नहीं था। मुझे निमन्त्रित न कर श्री अय्यंगारने मुझपर अनुग्रह ही किया है। वे इस सम्बन्धमें मेरा मत जानते हैं और मेरे सच्चे मित्र होनेके कारण उन्होंने मुझे कष्ट नहीं दिया।

यह पूछनेपर कि भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्यके नाते आप सम्मेलनमें क्यों नहीं गये, महात्माजीने कहा :

जाकर मैं कुछ लाभ नहीं पहुँचा सकता। हिन्दुओं या मुसलमानोंने इस समय जिस नीतिका अवलम्बन किया है उससे मैं सहमत नहीं हूँ और मैं जानता हूँ कि मेरे वहाँ उपस्थित होनेसे कार्यमें केवल बाधा ही पड़ेगी।

दक्षिणके दौरेके सम्बन्ध में प्रश्न करनेपर महात्माजीने कहा :

वहाँसे मैं पूरी आशा लेकर लौटा हूँ । खादीके सम्बन्ध में लोगोंने अच्छा उत्साह दिखाया है - यद्यपि इससे भी अधिक उत्साह दिखाया जा सकता था। मेरे विचारमें खादीकी जड़ अब जम गई है ।

  1. १. इसके बादका अंश आज, ३१-१०-१९२७ से लिया गया है।