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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

लिखना पड़ेगा कि जिन लोगोंने सरकारी संस्थाओंका बहिष्कार किया था, उन्होंने अपना और अपने देशका बहुत भला किया था ।

मुझे उन शानदार दिनोंके कुछ चिह्न यहाँ देखकर खुशी हो रही है, और मुझे बहुत हर्ष है कि आप झंडेको ऊँचा रखनेका पूरा-पूरा प्रयत्न कर रहे हैं। आपकी संख्या थोड़ी है, लेकिन संसारमें अच्छे और सच्चे व्यक्तियोंकी संख्या बहुत ज्यादा कभी नहीं रही है। मैं आपसे कहता हूँ कि आप संख्या थोड़ी होनेकी चिन्ता न करें, बल्कि याद रखें कि आप कितने ही थोड़े हों, लेकिन देशकी स्वतन्त्रता आपपर निर्भर है। स्वतन्त्रताका आपके किताबी ज्ञान प्राप्त करने या यन्त्रवत तकली चलाने- मात्रसे भी कोई वास्ता नहीं है। अगर आपमें वे सब चीजें नहीं हैं जो भारतकी स्वतन्त्रताके लिए आवश्यक हैं तो मैं नहीं जानता कि और किसमें हैं। वे चीजें हैं ईश्वरका भय मानना और किसी भी मनुष्यसे या साम्राज्य कहलानेवाले बहुतसे मनुष्यों- के संगठनसे न डरना । यदि इन दो चीजोंकी शिक्षा इस संस्थामें नहीं प्राप्त की जा सकती तो मैं नहीं जानता कि और कहाँ की जा सकती है। लेकिन मैं आपके प्रोफे- सरोंको जानता हूँ, मैं हकीम साहवको जानता हूँ, और मुझे विश्वास है कि यहाँ ये दो बुनियादी चीजें बहुत सावधानीके साथ सिखाई जा रही हैं ।

आपकी संस्थाकी असन्तोषजनक आर्थिक स्थितिकी मैं परवाह नहीं करता । तथ्य तो यह है कि मुझे खुशी है कि हम कठिनाईके साथ गुजारा कर रहे हैं, क्योंकि तब हम अपने रचयिताको और सच्चे मनसे याद करेंगे और उससे डरेंगे ।

महात्माजीने इस तथ्यपर बहुत जोर दिया कि यदि विश्वविद्यालय अच्छा काम कर रहा है तो आपको बुढ़ विश्वास होना चाहिए कि ईश्वर आपको धन दे देगा[१]

हकीमजीकी यह बात बिलकुल ठीक है कि मेरे लिए दिल्ली आना मुश्किल था। लेकिन आपके पास आना मेरे लिए बड़ी सान्त्वना और राहत देनेवाली चीज थी। मैं आपको खुश करनेके लिए नहीं, खुद अपनेको खुशी देनेके लिए यहाँ आया हूँ। मैं यहाँ एक स्वार्थपूर्ण उद्देश्यसे आया हैं, और वह है आपको यह बताना कि आपकी मिलियाके बाहर जो घणा और जहरका बवण्डर चल रहा है, हिन्दू और मुसलमान जो एक-दूसरेके खूनके प्यासे हो रहे हैं, उन सबके बावजूद, आप लड़के लोग यहाँ अपने दिमाग ठंडे रखेंगे, अपने रचयितासे विमुख न होंगे, अपने दिलोंमें घृणाको कोई स्थान न देंगे, तथा अपने देश और देशके धर्मोको विनाशकी राहपर जाते देखकर मनमें भी खुश न होंगे। यही एक आशा है जो मुझे आपके पास खींच लाई है।

आपने ध्यान दिया होगा कि मैंने खादी या तकलीके बारेमें कुछ नहीं कहा है। उसकी वजह यह है कि जिन दो बुनियादी गुणोंके बारेमें मैंने आपसे बात की है, उनके सामने खादी और तकली भी कुछ नहीं हैं। आप तकली चला सकते हैं और खादी पहन सकते हैं, लेकिन मैंने आपसे जो चीजें करनेको कहा है, यदि आप उन्हें

  1. १. यह अनुच्छेद हिन्दुस्तान टाइम्ससे लिया गया है।