या २७ तारीखको लंकासे उड़ीसा के लिए रवाना होऊँगा और जिस रास्ते से सबसे कम समय लगेगा, उसी रास्तेसे वहाँ पहुँच जाऊँगा ।
मुझे आशा है कि तुम्हारा हाथ अब बिलकुल ठीक और काम करने लायक हो गया है। बा और महादेवके अलावा काका, प्यारेलाल और जमनादास [१] मेरे साथ हैं। और राजगोपालाचारी तथा सुब्बैया कोलम्बोंमें मेरी प्रतीक्षा कर रहे हैं।
मैंने तुम्हें बताया था कि देवदासका बवासीरके लिए ऑपरेशन हुआ था। वह इस माहकी ८ तारीखको छुट्टी पा गया होगा ।
सस्नेह,
मोहन
- अंग्रेजी (जी० एन० २६२४) की फोटो-नकलसे ।
१६२. पत्र : वी० ए० सुन्दरम्को
१२ नवम्बर, १९२७
इस समुद्र-यात्रासे मुझे पिछली चिट्ठियोंसे निपटनेका कुछ मौका मिल गया है । सावित्रीने सकुशल बच्चा जना और तुमको एक कन्या भेंट की, इसके लिए मैं ईश्वरका कृतज्ञ हूँ। मेरी कामना है कि बच्चा फूले-फले । आशा है, माँ अच्छी तरह हैं।
तुम्हारा,
बापू
- अंग्रेजी (जी० एन० ३१७७) की फोटो-नकलसे ।
१६३. पत्र : नारणदास गांधीको
जहाजसे कोलम्बो जाते हुए
१२ नवम्बर, १९२७
तुम्हारा १६-१०-१९२७ का पत्र मेरे पास पड़ा हुआ है। जहाजमें कोलम्बो जाते हुए उसका उत्तर लिख रहा हूँ । प्रमुख मन्त्रीके[२] बारे में तुमने जो लिखा वह ठीक है। किन्तु ये नियम तो तभी लागू हो सकते हैं जबकि कोई संस्था मशीनके ढंगपर चलती हो । उस स्थितितक अभी हम नहीं पहुँच सके हैं इसलिए आसानी से