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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

व्यवहार इस सुन्दर देशके लोगोंके साथ बिलकुल सही और शिकायतसे परे है। आपकी तुला बिलकुल सही हो, आपके हिसाब-किताब सही हों, और मैं आशा करता हूँ कि आप इस द्वीपकी प्रत्येक स्त्रीको अपनी बहन, अपनी बेटी या अपनी माँ समझते घन होनेसे हमारा दिमाग न चकराने पाये। यदि धनको जिन लोगोंके पास वह है और जिनसे वह अर्जित किया जाता है, उन दोनोंके लिए वरदान सिद्ध होना है, तो धनके साथ उत्तरदायित्वकी और अधिक भावना आना जरूरी है।

मुझे आपको और अधिक देर नहीं रोकना चाहिए। मैंने लंकामें अपना काम अभीतक मुश्किलसे ही शुरू किया है। इस द्वीपकी यात्राके दौरान मुझे बहुत-सी चीजोंके बारेमें बोलना होगा, और मैं चाहूँगा कि जिन विभिन्न स्थानों में मुझे ले जाया जाये, वहाँ मैं जो कुछ भी कहूँ उसे आप पढ़ें, और मुझे सबसे ज्यादा खुशी तब होगी जब मेरे इस द्वीपसे चले जानेके बाद मैं देखूंगा कि अपने हृदयके अन्तरतमसे जो बातें मैंने आपके सामने रखी हैं, उन्हें आप भूले नहीं हैं।

मैं आपको उदार हृदयसे दिये गये इन सब उपहारोंके लिए एक बार फिर धन्यवाद देता हूँ, और यदि ऐसे लोग हों जो कुछ देना चाहते हैं वे अब दे सकते हैं। मैं आपको यह भी सूचित कर दूं कि यदि आप खादी चाहते हैं तो जिस स्थानपर मुझे ठहराया गया है वहाँसे उसे प्राप्त कर सकते हैं। ईश्वर आपपर कृपा रखे !

[ अंग्रेजीसे ]

सीलोन डेली न्यूज, १४-११-१९२७

विद गांधीजी इन सीलोन

१६७. भाषण : विवेकानन्द सोसाइटी, कोलम्बोमें

१३ नवम्बर, १९२७

मैं आपको अभिनन्दनपत्र तथा थैलीके लिए धन्यवाद देता हूँ। मेरे पास जो थोड़ा-सा समय था, उसमें मैंने आपकी सोसाइटीके कार्योंकी रिपोर्टको सरसरी तौरपर देखनेकी कोशिश की, और मैं आपको सोसाइटीकी अनेक प्रवृत्तियोंके लिए बधाई देता हूँ। विवेकानन्द यह एक ऐसा नाम है जिसका स्मरण आते ही मन विभोर हो उठता है। उन्होंने भारतके जीवनपर एक अमिट छाप छोड़ी है और आप इस समय भारतके बहुत से भागोंमें उनके नामपर स्थापित संस्थाएँ देख सकते हैं। रामकृष्ण मिशनकी जो बहुत-सी शाखाएँ हैं सो अलग।

लेकिन मैं देखता हूँ कि मुझे आपको इस सभामें बहुत देर नहीं रोकना चाहिए । बाहर अधीर भीड़ प्रतीक्षा कर रही है। इस समय मैं जो कुछ कहूँगा वह इतना ही है कि मैं इस सोसाइटीके हर तरहसे फूलने-फलनेकी कामना करता हूँ और मैं यह भी सुझाव दे दूं कि जबतक आप अपनी संस्थाकी इन प्रवृत्तियोंमें एक वह काम भी न जोड़ लें जिससे दरिद्रनारायणकी सेवा होती है तबतक वे प्रवृत्तियाँ अधूरी रहेंगी।