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१६९. भेंट : 'टाइम्स ऑफ सीलोन' के प्रतिनिधिसे

कोलम्बो
[१४ नवम्बर, १९२७ या उससे पूर्व

[१]

'टाइम्स ऑफ सीलोन' के प्रतिनिधिसे अपनी भेंट-वात्तम गांधीजीने कहा कि शाही आयोगके प्रति मेरा रुख कांग्रेस निर्धारित करेगी।

बहिष्कारके बारेमें उन्होंने कहा कि मेरी व्यक्तिगत राय है कि सक्रिय और आम बहिष्कार ब्रिटिश सरकारके लिए एक प्रभावकारी उत्तर सिद्ध होगा।

यह पूछे जानेपर कि क्या आप ईमानदारीसे ऐसा मानते हैं कि अंग्रेजोंके बिलकुल चले जानेपर भारत ज्यादा सुखी होगा, गांधीजीने ऐसा कहा बताते हैं कि मेरा विश्वास है कि भारतमें ही नहीं, बल्कि आफ्रिकामें भी समस्याओंका एकमात्र हल यह है कि अंग्रेज लोग मित्रोंकी भाँति बने रहें। उन्होंने कहा, मैं यह स्वीकार करता हूँ कि भारतमें आन्तरिक लड़ाई-झगड़े हैं, लेकिन भारत अन्ततः अपनेको स्वतन्त्र कर लेगा । इस दिशामें इससे कम कोई चीज वह स्वीकार ही नहीं कर सकता।

एक अन्य प्रश्नका उत्तर देते हुए गांधीजीने कहा कि असहयोग आन्दोलनका उद्देश्य बुराईको ताकतोंके विरुद्ध संघर्ष करना है। अन्तमें उन्होंने कहा :

हम मैत्री चाहते हैं, हमपर हुक्म चलानेवाला स्वामी नहीं चाहते।

[ अंग्रेजीसे ]
हिन्दू, १५-११-१९२७

१७०. तार : धनगोपाल मुखर्जीको

[ १४ नवम्बर, १९२७ ]

[२]

धनगोपाल मुखर्जी

मार्फत
श्रीमती वालर बोर्डन
१०२०, लेकशोर ड्राइव

शिकागो

आपका तार। भारतीय नेताओंका विरोधपत्र जिसे टाइम्स' ने छापनेसे मना किया भारतीय अखबारोंमें व्यापक रूपसे छपा। मदर इंडिया

  1. १. भेंटकी रिपोर्ट इसी तारीख में छापी गई थी।
  2. २. साधन-सूत्रमें दी गई सूचना तथा कैथरीन मेयो द्वारा लिखित मदर इंडिया पुस्तकके उल्लेखके आधारपर, जो १९२७ में प्रकाशित हुई थी।