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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

एक तीसरी बात कहकर मैं खत्म करूंगा। मैं जानता हूँ कि आपके यहाँ एक बहुत सुन्दर बन्दरगाह है। मैं आपके यहाँके दारचीनीके बागानोंसे गुजरा हूँ जो संसार- के किसी भी नगरके लिए गर्वकी चीज हो सकते हैं। मैंने आपके यहाँ कुछ भव्य इमारतें देखी हैं। ये निश्चय ही बहुत अच्छी हैं। लेकिन क्या दारचीनीके बागानोंमें रहनेवाले या इस नगरमें रहनेवाले उन लोगोंको जो व्यापार करते हैं, इस बातकी जरूरत है कि उनके कल्याणकी चिन्ता न्यासी लोग करें? मेरी समझसे नहीं है । दरअसल आप उन लोगोंके न्यासी हैं जो अपनी देख-भाल खुद नहीं कर सकते। इसलिए आपपर श्रमिकोंके कल्याणका दायित्व है। मैंने आपके यहाँ श्रमिकोंकी बस्तियोंको अबतक नहीं देखा है और इस कारण निजी अनुभवसे नहीं कह सकता कि इन बस्तियों- की क्या दशा है। लेकिन यदि आप मुझे बता सकें कि ये बस्तियाँ भी उतनी ही सुवासपूर्ण होंगी जितने कि दारचीनीके बागान हैं तो मैं आपकी बातपर यकीन कर लूंगा और जहाँ-कहीं जाऊँगा आपके नगरका विज्ञापन करता जाऊँगा और मैं कहूँगा: यदि आप एक आदर्श नगरपालिका देखना चाहते हैं तो कोलम्बो जाइए।" लेकिन मुझे नहीं लगता कि आप मुझसे विशेष योग्यताका वह प्रमाण-पत्र पा सकेंगे । मेरा अभिप्राय आपकी श्रमिक-बस्तियोंकी दशासे है। मैंने आपके श्रमिक वर्गोंके बारे में कुछ आँकड़ोंका अध्ययन किया है ।

मैं समझता हूँ कि कोलम्बो-जैसा नगर, जो एक दृष्टिसे सूखा है, एक दूसरे अर्थमें भी आसानीसे शुष्क[१] हो सकता है। और यदि आप, जो कोलम्बोके नागरिकोंके कल्याणके जिम्मेदार हैं, कोलम्बोको शुष्क बनाना चाहते हों और यदि वास्तवमें ऐसा करना आपके लिए सम्भव हो तो आप न केवल कोलम्बोके नागरिकोंके और मुझ जैसे एक तुच्छ व्यक्तिके, बल्कि पूर्वीय देशोंकी सभी नगरपालिकाओंके धन्यवादके पात्र होंगे ।

मैंने जो दिशा बताई है, उस दिशामें मार्ग प्रदर्शन करनेमें ईश्वर आपकी सहा- यता करे। आपने मुझे कृपापूर्वक जो अभिनन्दनपत्र दिया है, उसके लिए मैं एक बार फिर आपको धन्यवाद देता हूँ ।

[ अंग्रेजीसे ]
सीलोन ऑब्जर्वर, १५-११-१९२७
विद गांधीजी इन सीलोन
 
  1. १. अभिप्राय शराबबन्दीसे है।