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भाषण : मिशनरी सम्मेलन, कोलम्बोमें

कही, बुद्धने कही और मुहम्मदने भी कही, जिनके धर्मको आज मेरे देशमें नकारा और झुठलाया जा रहा है।

"सरमन ऑन द माउंट " में जो अमृत-जल आपको दिया गया है उसे शौकसे खूब पीजिए, लेकिन तब आपको टाट और भस्मी अपनानी पड़ेगी । सरमन " की शिक्षाएँ हममें से प्रत्येकके लिए थीं । आप ईश्वर और अर्थ-पिशाच दोनोंकी सेवा एक साथ नहीं कर सकते । करुणामय और दयालु, साक्षात् सहिष्णुता-रूप ईश्वर अर्थ- पिशाचको चार दिनका चमत्कार दिखाने देता है। लेकिन लंकाके नवयुवको, मैं आपसे कहता हूँ कि आप आत्मनाशी अर्थ-पिशाचके इस विनाशकारी तमाशेसे दूर भागिए ।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, ८-१२-१९२७

१७८. भाषण : मिशनरी सम्मेलन, कोलम्बोमें

१६ नवम्बर, १९२७

अध्यक्ष महोदय और मित्रो,

आपने कृपापूर्वक इस सभाको मेरी इच्छाकी सूचना देकर मेरा काम आसान कर दिया है। किसी भी मिशनरी संस्थाके निमन्त्रणका मैं सदा स्वागत करता हूँ, और मुझे साथी-मिशनरी कहकर जो सम्बोधित किया गया है उसे मैं अपनी सराहना समझता हूँ । शायद हम "मिशनरी" शब्दको एक ही अर्थ न प्रदान करें। तथापि मैं इस प्रकार सम्बोधित किये जानेको पसन्द करता हूँ। मुझे बताया गया है कि आप हर माह एक सम्मेलन करते हैं जिसमें लंका या कोलम्बोके मिशनरी इकट्ठे होते हैं, और मुझे यह भी बताया गया है कि आपने सम्मेलनका यह दिन इसलिए नियत किया है ताकि आप मुझसे मिल सकें और मुझे आपसे मिलनेका सौभाग्य प्रदान कर सकें। मैं आपकी समितिकी इस कृपाकी कद्र करता हूँ, और इसे उसी प्रकारकी एक गोष्ठी बनानेकी दृष्टिसे मैं चाहूँगा कि आपके मनमें जो भी प्रश्न इस समय उठें, आप उन्हें मुझसे पूछिए। इससे मेरा काम सचमुच आसान हो जायेगा । मैं आपके सामने कोई भाषण नहीं देना चाहता। मेरे पास कोई नई बात कहनेको नहीं है। मैं कलकत्तेमें, बंगलोरमें, मिशनरी सम्मेलनोंमें बोलता रहा हूँ और मैं मद्रासमें भी मिशनरियोंके सामने बोला हूँ, और जो बातें मैं पहले कह चुका हूँ, उनमें नया जोड़ने- को मेरे पास शायद कुछ नहीं है। लेकिन यह कहीं बेहतर होगा कि उन सम्मेलनोंमें दिये गये मेरे भाषणों, अथवा अन्यत्र किसी अन्य विषयपर दिये गये मेरे भाषणोंके बारेमें आपने जो पढ़ा हो उसपर से, अथवा आपने मेरे भाषण सुने हों तो उसपर से आपके मनमें जो सवाल आयें, उन्हें आप पूछें। आपमें से कुछ लोगोंने मेरे प्रति जो घनिष्ठ बन्धु-भाव दिखाया है उससे मैं जानता हूँ कि आपने अखबारोंमें मेरे बारेमें