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१८४. भाषण : कुरुनेगलको सार्वजनिक सभामें

१७ नवम्बर, १९२७

... श्री तम्बीराजाने लंकाकी राजनीतिक स्थितिका और सुधार आयोगसे उन्हें क्या आशाएँ हैं इनका जिक्र किया है। इस प्रश्नपर मेरे लिए कोई मत व्यक्त करना, मुझे यहाँ जो आतिथ्य प्राप्त हुआ है, उसका दुरुपयोग करना होगा। तथापि में कामना करता हूँ कि आपकी आशाएँ पूरी होंगी और शाही आयोग अपना काम पूरा करनेके बाद जो निर्णय देगा वह जनताके लिए पूर्ण रूपसे संतोषजनक होगा

उन्होंने कहा कि एक अन्य प्रश्न है जिसके बारेमें में अपने विचार स्वपूर्वक प्रकट कर सकता हूँ। उसका सम्बन्ध मद्य निषेधसे है। इस थोड़ेसे समयमें मैंने इस विषयमें आँकड़ोंकी कुछ जानकारी प्राप्त करनेकी कोशिश की है, और मुझे यह देखकर बहुत दुःख हुआ है कि इस मामलेमें लंका समुद्रके पार स्थित अपने पड़ोसीसे बेहतर स्थितिमें नहीं है। मेरी रायमें जो व्यक्ति शराबका गुलाम है वह पशुसे बेहतर नहीं है। में लंकाके मद्यपान-विरोध संघकी सफलताको कामना करता हूँ और आशा करता हूँ कि संघके सदस्य तबतक सन्तुष्ट नहीं होंगे जबतक लंकाम शराब पूरी तरह बहिष्कृत नहीं हो जाती। एक अन्य विषय भी है जिसपर में कुछ कहना चाहता हूँ। मुझे बताया गया कि यहाँकी कतिपय जातियोंको स्त्रियोंको ऊँची जातियाँ कमरसे ऊपरके कपड़े पहननेको अनुमति नहीं देतीं। मुझे आशा है कि यदि किसी स्त्रीको अपनी पसन्दका कोई भी कपड़ा पहनने से रोका जाये तो इस सभामेंउपस्थित स्त्रियाँ इस बातको व्यक्तिगत अपमानकी बात समझेंगी। अन्तम गांधीजीने आशा प्रकट की कि इस देशके लोग भारतमें बने कपड़ेको खरीदकर भारतके अपने भूखे पड़ोसियोंको मदद करेंगे ।

[ अंग्रेजीसे ]
सीलोन डेली न्यूज, १८-११-१९२७