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भाषण : तमिल संघ, कोलम्बोमें

हैं, मुझे इतना अभिभूत कर देनेवाला स्नेह और इतना उदार व्यवहार मिला है, विशेष रूपसे चेट्टिनाडमें, कि मेरे मनमें और अधिक पानेकी तीव्र लालसा उत्पन्न हो गई है।

मैं समझता हूँ कि आपका अपना एक खेल-कूदका क्लब है, और यह एक अच्छी चीज है। मैं चाहता हूँ कि आप इससे ऊँची कोटिके खिलाड़ी भी बनें। मैं चाहता हूँ कि आपमें खिलाड़ियों-जैसी ऐसी भावना हो कि आप भारतमें भूखसे पीड़ित लोगोंके साथ अपने घनको बाँट कर उपयोग करें, उनके सामने मुट्ठी-भर चावल फेंककर नहीं, बल्कि उन्हें जिस ढंगसे मैं कामके लिए प्रशिक्षित करके काममें लगाना चाहता हूँ उस ढंगसे उनके लिए काम प्राप्त करके ।

मैं यह भी चाहूँगा कि इस द्वीपमें जो मजदूर हैं उनके साथ आप अपनी सेवा कर सकनेकी योग्यता या क्षमताको बाँटें और इसमें भी खिलाड़ीकी भावनासे काम लें। यह वही समाज-सेवा है जिसके लिए बहुतसे नौजवानोंकी योग्यताकी जरूरत है, नौजवान जिन्हें मैं अपने सामने देख रहा हूँ। मैंने बादुल्ला और हैटनके बीच जो हजारों मजदूर देखे उनके बारेमें अपने अनुभव बतानेमें मैं आपका समय नहीं लूंगा । एक ओर तो मैं उन्हें देखकर प्रसन्न हुआ और दूसरी ओर मैंने देखा कि आप नौजवानोंके सामने उन लोगोंके लिए करनेको कितना कुछ पड़ा है जो जर्जर होते जा रहे हैं और जिन्हें यह भी नहीं मालूम कि शुद्ध जीवन किस प्रकार बिताया जाता है।

आपने मेरा सन्देश सुन लिया है। यदि अभी भी कुछ लोग हैं जिन्होंने कुछ नहीं दिया है या पर्याप्त नहीं दिया है तो वे कृपया अपना चन्दा मुझे भेज दें, और यदि आप उन लाखों गरीब लोगों तथा अपने बीच एक जीवन्त सम्बन्ध स्थापित करना चाहते हैं तो आप चन्दा देनेके साथ ही यह निश्चय भी करेंगे कि खादीके सिवा आगेसे कोई दूसरा कपड़ा नहीं खरीदेंगे ।

आपकी उदारताके लिए मैं आपको एक बार फिर धन्यवाद देता हूँ ।

[ अंग्रेजीसे ]

हिन्दु, २८-११-१९२७

विद गांधीजी इन सीलोन