पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 35.pdf/३४९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३२१
भाषण : कानूनके छात्रोंके सम्मुख, कोलम्बो में

पड़ा। भारतमें आपके सामने स्वर्गीय मनमोहन घोषका उदाहरण है। उन्होंने निलहे साहबोंके खिलाफ चलनेवाले संघर्ष में आगे बढ़कर हिस्सा लिया और अपने गरीब मुव- क्किलोंसे एक पाई भी लिये बिना, अपने स्वास्थ्यकी परवाह न करते हुए, बल्कि अपनी जानको भी खतरेमें डालकर उनकी सेवा की। वे अत्यन्त प्रतिभाशाली वकील थे, किन्तु साथ ही बहुत बड़े परोपकारी भी। यह एक ऐसा उदाहरण है जिसे आपको अपने सामने रखना चाहिए। या इससे भी अच्छी बात यह होगी कि आप अनटु दिस लास्ट' में दिये गये रस्किनके सिद्धान्तका अनुसरण करें। वे पूछते हैं, "किसी वकीलको अपने कामके लिए पन्द्रह पौंड क्यों लेना चाहिए, जबकि एक बढ़ईको अपने कामके लिए मुश्किलसे पन्द्रह शिलिंग मिलते हैं ? " वकीलोंकी फीसकी दरें सभी जगह अन्यायपूर्ण होती हैं। मैं यह स्वीकार करता हूँ कि मैंने खुद ही इतनी फीस ली है, जिसे मैं बहुत ऊँची कहूँगा । लेकिन, आपको बता दूं कि जब मैं वकालत करता था तब भी मेरा धन्धा मेरे लिए जनताकी सेवाके मार्ग में कभी बाधक नहीं हुआ।

एक दूसरी बात भी है जिसकी ओरसे मैं आपको सचेत कर देना चाहूँगा । इंग्लैंडमें, दक्षिण आफ्रिकामें बल्कि सर्वत्र वकील लोग अपने मुवक्किलोंके लिए जाने- अनजाने असत्यका सहारा लेते हैं। एक प्रसिद्ध अंग्रेज वकीलने तो यहाँतक कहा है कि अपने जिस मुवक्किलके बारेमें वकीलको मालूम हो कि वह दोषी है, उसका बचाव करना भी उसका कर्त्तव्य हो सकता है। इससे मैं सहमत नहीं हूँ। वकीलोंका कर्त्तव्य बराबर न्यायाधीशोंके सामने सत्यको प्रस्तुत करना और सचाईको जाननेमें उसकी सहा- यता करना होता है। दोषीको निर्दोष साबित करना उसका कर्त्तव्य नहीं होता। अपने धन्धेकी गरिमाको बनाये रखना आपके हाथोंमें है। यदि आप अपने कर्त्तव्यका पालन नहीं करेंगे तो फिर सोचिए कि और धन्धोंका क्या होगा ? आप नौजवानोंको, जो समाजके भावी कर्णधार होनेका दावा करते हैं, जैसा कि अभी आपने किया है, राष्ट्रका आदर्श नागरिक सिद्ध होना चाहिए। यदि नमक ही अपना सलोनापन छोड़ दे तो फिर उसे किस प्रकार नमकीन बनाया जा सकता है ?

[ अंग्रेजीसे ]
विव गांधीजी इन सीलोन





३५-२१