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भाषण : उण्डुविल गर्ल्स कालेज, जफनामें

हैं, और उस स्थानको प्राप्त करनेमें स्वयं उनका बहुत बड़ा हाथ रहा है। अभी ईसाइयोंकी बात अलग रखिए। इस कालेजमें शिक्षा ग्रहण करनेवाले जो ७५ प्रतिशत हिन्दू लोग हैं, मैं उनसे कहूँगा कि जीससके उपदेशोंका श्रद्धापूर्वक अव्ययन किये बिना आपका जीवन अधूरा रहेगा। मैं निजी अनुभवसे इस निष्कर्षपर पहुँचा हूँ कि जो लोग, चाहे वे किसी धर्म के अनुयायी हों, दूसरे धर्मोकी शिक्षाका श्रद्धापूर्वक अध्ययन करते हैं वे अपने धर्मके प्रति अपनी आस्थाको कमजोर करनेके बजाय अपने धर्मकी सम्भावनाओंको बढ़ाते ही हैं। खुद मैं तो दुनियाके किसी भी बड़े धर्मको झूठा नहीं मानता । सभीने मानव-जातिको संवारनेमें योगदान दिया है और आज भी वे अपना काम कर रहे हैं। इस प्रकार सभीको उदार शिक्षामें, जैसा कि मैंने कहा है, दूसरोंके धर्मोका श्रद्धापूर्वक अध्ययन करना भी शामिल मानना चाहिए। लेकिन, मैं इस विषयपर ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता, और न मेरे पास उसके लिए समय है।

मगर अभी बोलते-बोलते मेरे मनमें एक बात आई है, जिसका आधार 'बाइबिल' का मेरा प्रारम्भिक अध्ययन है। उसका एक वाक्य, उसे मैंने ज्योंही पढ़ा त्योंही, मेरे मन-प्राणपर छा गया। वह यह था :

इस संसारको ईश्वरका साम्राज्य बना दो और फिर देखोगे कि पवित्रता और पुण्य और सब-कुछ तुम्हें अपने-आप प्राप्त हो गये हैं।[१]

यदि आप इस वाक्यकी भावनाको समझ लें, उसके मर्मको पहचान लें और उसके अनुसार आचरण करें तो आपको यह जाननेकी भी आवश्यकता नहीं रह जायेगी कि आपके हृदयमें जीससका या अन्य किसी धर्मगुरुका कौन-सा स्थान है। यदि आप सच्चे भंगीका काम करेंगे, अपने हृदयको झाड़-बुहारकर पवित्र करके उन धर्मगुरुओंके योग्य बना देंगे तो आप पायेंगे कि वे बिना बुलाये ही आपके हृदयमें प्रतिष्ठित हो गये । मेरे लेखे समस्त सच्ची शिक्षाका उद्देश्य यही है। हृदयके संस्कारको मस्तिष्कके संस्कारसे कहीं ऊँचा स्थान देना चाहिए। ईश्वर आपको शुद्ध-पवित्र बनाये !

[ अंग्रेजीसे ]
हिन्दू, २-१२-१९२७

२३०. भाषण : उण्डविल गर्ल्स कालेज, जफनामें

२९ नवम्बर, १९२७

आज सुबह आपसे मिलकर मैं वास्तवमें बहुत प्रसन्न हूँ। आपने जो दान दिये हैं, वे सच्चे हृदयसे दिये हैं। इसलिए उन्हें सामान्य रूपसे भेंट की गई थैलीमें मिला देनेकी बात मुझे अच्छी नहीं लगी। फिर भी आपके द्वारा अपनी रकमोंको आम थैलीमें मिला देनेकी बातका जो सबसे अच्छा मतलब हो सकता है, मैं वही मतलब लगाऊँगा । वह यह है कि लड़कोंकी अपेक्षा अधिक संकोची और विनम्र होनेके कारण आप यह नहीं चाहतीं कि मुझे मालूम हो कि आप सबने कुछ दिया है।

  1. १. सेंट मैथ्यू, ६, ३३।