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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जा सकता। इसलिए अहिंसामें विश्वास करनेवाला व्यक्ति इस हिंसाको कमसे कमतर करनेके लिए सतत प्रयत्नशील रहता है।

यदि आप चाहते हैं कि मैं आपकी पुस्तककी पाण्डुलिपि वापस कर दूं तो कृपया मुझे बतायें ।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत के० एस० कारंत

मार्फत के० एस० अचरलू, एम० ए०

शिक्षक, दवंगेरे
अंग्रेजी (एस० एन० १२६५२) की माइक्रोफिल्मसे ।

२७७. पत्र : ऑलिव डोकको

स्थायी पता : आश्रम, साबरमती
१९ दिसम्बर, १९२७

प्रिय ऑलिव,

कुमारी श्लेसिनसे परिवारके बारेमें तथा तुम्हारे कार्यकलापोंके बारेमें सब-कुछ जानकर मुझे बहुत आनन्द हुआ । क्लीमेंटसे, जो अब डॉक्टर क्लीमेंट हैं, हाथ मिलानेकी, और तुमको " लीड काइंडली लाइट " गाते सुननेकी मेरी बहुत इच्छा होती है। तुमको उस दृश्यकी याद शायद न हो, मुझे है, और मेरी स्मृति इतनी स्पष्ट है कि यदि मैं चित्रकार होता तो मैं उसे चित्रित कर सकता था।[१]

तुम्हारा आफ्रिकाके वन्य प्रदेशोंमें भ्रमणके लिए जाना मुझे तनिक भी आश्चर्य- जनक नहीं लगता, क्योंकि मैं जोजेफ डोकके बच्चोंसे इससे कमकी कोई अपेक्षा ही नहीं करता ।

बोलकर लिखाये गये इस पत्रके लिए तुम मुझे क्षमा करोगी । मेरे सामने विकल्प था कि लिखना टाल दूं या बोलकर लिखाऊँ। मैंने ज्यादा बेहतर चुनाव किया है। कृपया कभी-कभी लिखती रहो ।[२]

तुम सबको प्यार सहित,

हृदयसे तुम्हारा,
मो० क० गांधी

अंग्रेजी (सी० डब्ल्यू० १२२७) से ।
सौजन्य : सी० एम० डोक
  1. १. देखिए खण्ड २९, पृष्ठ १३०-३१ ।
  2. २. ऑलिव ढोकने इस पत्रकी प्राप्ति-सूचना २ मार्च, १९२८ को दी थी (एस० एन० २१९६८) ।