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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मत बनाइये, बल्कि स्वतः अपने मनमें इतना पक्का विश्वास पैदा कीजिए कि गांधीका खयाल भले बदल जाये, मगर आप इसीपर डटे रहें। लोगोंको आप दिखला दीजिए कि अगर पेट भर खाना चाहिए तो उन्हें उसके लिए काम करना होगा, और वह काम केवल आप ही और वह भी अपनी ही शर्तोपर दे सकते हैं। लोगोंकी मात्र देशभक्तिपर ही आप बराबर निर्भर नहीं कर सकते। आपको इतनी अच्छी खादी बनानी पड़ेगी, जो अन्य सभी किस्मके कपड़ोंसे ज्यादा अच्छी हो ।

याद रखिए कि जबतक लोगोंको यह विश्वास नहीं होता कि वे खादीके बिना जी नहीं सकते और खादीमें ही उनकी मुक्ति है, तबतक आपको सफलता मिलने से रही । आप समझ लीजिए कि मैं यह आन्दोलन कुछ विदेशी वस्त्रोंका बहिष्कार भर करनेके लिए नहीं चला रहा हूँ, बल्कि यह तो हमारे जीवनकी एक जरूरी शर्त है और यदि हमें अपना अस्तित्व बनाये रखना है तो उसके लिए अपनी जरूरतका कपड़ा आप तैयार करनेका यह एक निमित्त है ।

आप गाँवों में जाइए। गाँववालोंमें ही हिलमिल जाइए। चरबतियाकी पाठशालाके अध्यापकने जो कहानी बतलाई थी उससे आँखें खुल जाती हैं। वह एक आदर्श गाँव था। उसके सामने काम करनेके लिए कितना व्यापक क्षेत्र पड़ा था ! आप गाँवकी पाठशालाका काम संभाल सकते हैं, बच्चोंको अपने साथ एकप्राण बना सकते हैं और फिर बच्चोंके जरिये गाँवोंमें काम कर सकते हैं। उनसे अपनेको अलग मत समझिए । उनके सुख-दुःखमें शामिल होइए। उनसे पूछिए कि वे अपने परिवारके लोगोंको कलकत्ताकी उन रोगग्रस्त खोलियोंमें रहने क्यों भेजते हैं, उनसे गाँव में ही काम क्यों नहीं कराते? उनके घरोंमें जाइए; उन्हें कातना सिखलाइए, घुननेका ढंग बतलाइए । उनके रहन-सहनके दोष उन्हें बताइए। सफाईके प्राथमिक नियम उन्हें बतलाइए । इसी प्रकार रचनात्मक ढंगकी कताईसे स्वराज्य मिलेगा, इसी भूमिपर चरखा अपना सुन्दरतम संगीत सुना सकता है। आप हर एक गाँवको स्वयं-सम्पूर्ण बनाइए, हर घरकी जरूरतका कपड़ा वहींपर कतवाकर बुनवाइए। मगर इसके अलावा भी आपके पास कुछ खादी बच ही जाये तो आप मुझसे अभी बिक्रीकी गारंटी लिखवा लीजिए। अगर वह खादी ठीक हुई तो मैं उसे बेच दूंगा । तो मैं उसे बेच दूंगा। याद रखिए कि वही कार्यकर्ता योग्य गिना जायेगा जो जहाँ रहता है, उस गाँवको पूर्ण स्वावलम्बी बना डाले। मगर ये सब बातें तो आदमी-आदमीपर निर्भर करेंगी। इसके लिए प्रेमकी पाठशालाको छोड़कर और कोई विद्या दरकार नहीं। क्या हमारे पास सच्चे, ईमानदार, वीर और उत्कट देश-प्रेमसे प्रेरित कार्यकर्ता मौजूद हैं ?

एक चीज जो मैं इस विपत्ति-ग्रस्त देशके दोहरी विपत्तिसे पीड़ित आप लोगोंके मनमें उतार देना चाहता हूँ, वह यह है कि आप अपने आपको आसपासकी पीड़ित मानवताके इस महासमुद्र में बिलकुल गर्क कर दीजिए। उनसे थोड़ा भी अलगाव शेष मत रहने दीजिए। मानवता चूंकि पीड़ित है, इसलिए समस्या काफी सरल है। आपका मार्ग सीधा है, संकीर्ण भले ही हो । और आपको यह कार्य उचित और