पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 35.pdf/४४९

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२९०. पत्र : टी० के० रामुन्नी मेननको

स्थायी पता : आश्रम, साबरमती
२१ दिसम्बर, १९२७

प्रिय मित्र,

मुझे दुःख है कि मैं इससे पहले आपके पत्रका उत्तर नहीं दे सका । अगर आपके लिए सम्भव हो तो मैं चाहूँगा कि जब मैं मद्रासमें होऊँ उस समय आप मुझसे मिलें। मैं नहीं चाहता कि आपकी जो नौकरी है उसे आप जल्द- बाजीमें छोड़ दें।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत टी० के० रामुन्नी मेनन

कोऑपरेटिव अफसर
पोस्ट पुथियारा

(मलाबार)
अंग्रेजी (एस० एन० १२६५७) की माइक्रोफिल्मसे ।

२९१. पत्र : प्यारेलालको

[१]

स्थायी पता : आश्रम, साबरमती
२१ दिसम्बर, १९२७

प्रिय मित्र,

मैं आपके पत्रका उत्तर पहले नहीं दे सका। मैं नहीं समझता कि आपको एक योजनाकी उतनी जरूरत है जितनी उपयुक्त कार्यकर्ताओंकी, और चूँकि आपके पास कुमारी जेमिनर और बाबू जुगलकिशोर हैं, अत: मेरी समझमें आपके लिए उनकी सलाहसे चलना सबसे अच्छा है। एक गलतीसे बचनेको मैं आपसे कहूँगा, और वह यह कि विधवा-गृहको मात्र एक साहित्यिक स्कूल न बना दें जिसमें विधवाओंको खुद कुछ करना ही न पड़े। मैं तो विधवाओंको कुछ औद्योगिक प्रशिक्षण देकर उन्हें

  1. १. एक लोकहितैषी जिनकी १९३३ में मृत्यु हो गई।