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पत्र : मु० अ० अन्सारीको

इसलिए मैं जगह-जगह दिन-रात यही बात पुकार-पुकार कर कह रहा हूँ कि उनसे काम लेकर हिन्दुस्तानके करोड़ों रुपये बाहर जाने से बचाइए और सच्चा स्वराज्य रामराज्य स्थापित कीजिये |

स्त्रियोंमें काम तो स्त्रियाँ ही अच्छी तरह कर सकती हैं। यहाँ उत्कल देशमें जहाँ मैं यह लिख रहा हूँ, गरीब स्त्रियां भी पर्देमें रहती हैं। उनका पर्दा तोड़कर उनके बीच कौन जा सकता है ? मेरे साथ मीराबह्न हैं। उन्हें मैंने एक गाँवमें भेजा । कोई पचास स्त्रियाँ आसपास आ जमीं और उनके हर्षका पार नहीं रहा। वे अनेक बातें पूछने लगीं। चरखेकी बात निकली। ये स्त्रियाँ एकदम भोली, सादी और अन- जान थीं। सच्ची शिक्षा तो ऐसी असंख्य स्त्रियोंको मिलनी चाहिए। स्वच्छ चरित्रवाली विधवाएँ यह शिक्षा सहज ही दे सकती हैं, इस तरह वे अपना काम साधें और हिन्दुस्तानका बेड़ा भी पार हो । परोपकारकी वृत्तिवाली विधवाबहनें यह कार्य सहज ही सीख सकती हैं और कर भी सकती है पर इसमें बड़ी बात तो यह है कि उनमें गाँवोंमें जानेका उत्साह हो, और वहाँ जाकर वे ऊबें नहीं । ब्रह्मचर्यका व्रत लेनेवाली विधवा न तो अबला है, और न अंपग ही। अगर वह अपनेको पहचान ले तो वह बलवती है, स्वाश्रयी है, सुरक्षित है। ऊपरके कामकी अपेक्षा मैं आजकल लड़कियोंको दी जानेवाली शिक्षाको तुच्छ गिनता हूँ। पर जो विधवा गाँवोंमें न जाये, आलस्यमें दिन बिताती रहे अथवा धर्मके भ्रममें साल-दर-साल तीर्थक्षेत्र माने जानेवाले स्थानोंमें भ्रमण करती फिरे, उसके लिए तो इन सबकी अपेक्षा यही अच्छा है कि वह शहरोंमें रहकर बालशिक्षाका कार्य करती रहे। उसके पास रोगियोंकी सेवाका भी विशाल क्षेत्र पड़ा हुआ है। हिन्दू स्त्रियाँ नर्स या परिचारिकाके रूपमें थोड़ी ही दिखलाई पड़ती हैं। महाराष्ट्र में विधवाएँ नर्सका काम सीखती हैं। पर महाराष्ट्र के बाहर बहुत थोड़ी ही विधवाएँ यह काम सीखनेको तैयार होती हैं, लेकिन मेरे बतलाए ये काम भी दृष्टान्त रूप ही समझने चाहिए। प्रत्येक समझदार विधवाको जो ब्रह्मचर्य-पालन करना चाहती है, चाहिए कि वह अपने लायक कोई परोपकारी वृत्ति ढूंढकर उसीमें अपना जीवन बिताये ।

[ गुजरातीसे ]
नवजीवन, २५-१२-१९२७

३०८. पत्र : मु० अ० अन्सारीको

२५ दिसम्बर, १९२७

प्रिय डा० अन्सारी,

मेरी मालवीयजीके साथ लम्बी बातचीत हुई। गाय और संगीतके सम्बन्ध में प्रस्ताव में जो कहा गया है उससे वे सन्तुष्ट नहीं हैं। और न मैं ही सन्तुष्ट हूँ । मैंने दो सुझाव दिये हैं जिनसे वे सहमत हैं और उनका विचार है कि हिन्दू महासभा सहमत हो जायेगी ।