३१९. पत्र : मणिबहन पटेलको
गुरुवार, १९२७
तुम्हें बुखार आ गया और कमजोरी रहती है, यह मुझे अच्छा नहीं लगता। बूतेसे बाहर मेहनत नहीं करनी चाहिए। अब तो समय है भी या नहीं, सो मैं नहीं जानता; परन्तु कांग्रेसमें आनेके लिए तुम्हें चुना गया हो तो मुझे खुशी जरूर होगी।
बापूके आशीर्वाद
मेरे स्वास्थ्यके बारेमें अखबारोंमें कुछ आये तो समझ लेना कि उसमें अति- शयोक्ति है। रक्तचापका उतार-चढ़ाव तो इस दौरेमें होता ही रहा है ।
बापुना पत्रो -- ४ : मणिबहेन पटेलने
[ पुनश्च : ]
३२०. पत्र : मणिबहन पटेलको
१९२७
जो बीमार पड़ते हैं उन्हें क्या आश्रमसे भाग जाना चाहिए ? तुम कहाँ गई हो यह भी मैं तो नहीं जानता। भागकर ही सही, जल्दी नीरोग हो जाना चाहिए । चैन न लगे तो मेरे पास आनेकी छूट है, यह याद रखना । सहन होने लायक वैराग्य लिया हो तो पचेगा। न पचे वह वैराग्य कैसा । तुमसे कुछ-न-कुछ खबर पानेकी तो रोज ही बाट देखता हूँ ।
बापूके आशीर्वाद
- मेरे सफरकी तारीखें तो जानती हो न ?
बापुना पत्रो -- ४ : मणिबहेन पटेलने
- ↑ १. इस पत्रकी तथा १९२७ में लिखे इसके बादके अन्य पत्रकी तिथि निश्चित नहीं है।