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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

लोग इसी कारण अपने शासनको स्वदेशी शासन कह सकेंगे। तथापि मैं और आप ऐसे किसी वाहियात दावेका खण्डन करेंगे। और निश्चय ही इसमें आपकी बड़ी चतुराई थी कि आपने देशी चीजके खादीवाले अंगके लिए ६२ हजार वर्गफुट जगह दिलवा दी। मुझे इस बातकी तो खुशी है कि खादी उस विराट् चौगानके बाहर थी, लेकिन जैसा कि मुझे विश्वसनीय लोगोंने बताया, यदि यह बात सच है कि सरकारने यह शर्त रखी थी कि खादी चौगानके बाहर रहे, तो यह शर्मकी बात है। और क्या आपका यह कहना उचित है कि मैंने विदेशी कपड़ोंकी प्रदर्शनी की 'अनुमति' दी थी? क्या आपको याद नहीं है कि जब मैंने विदेशी कपड़ोंकी प्रस्तावित प्रदर्शनी के बारेमें सुना तो मैंने बहुत ही अनिच्छापूर्वक खादी-प्रदर्शनी लगाने पर सहमति दी थी? क्या आपको याद नहीं है कि कांग्रेस सप्ताह के दौरान खादी-प्रदर्शनी करनेके लिए मैं कतई उत्सुक नहीं था। मैं अगर राजी हुआ तो इस कारण कि आप, जो एक पुराने मित्र हैं, आग्रह कर रहे थे कि मुझे खादी-प्रदर्शनी करनी चाहिए और मुझसे कहा था कि यदि मैं उसे नहीं करता तो आप अटपटी स्थितिमें पड़ जायेंगे। आपको अपनी सहमति प्रदान कर चुकनेके बाद मेरे पास विरोध प्रकट करते हुए पत्र आये, लेकिन अपना वचन दे चुकनेके बाद मैं उसे वापस नहीं लेना चाहता था।

यदि इससे आपको सन्तोष नहीं होता और यदि आपने अपना पत्र जनताके पढ़नेके खयालसे लिखा है, तो मैं उसे और उसका उत्तर भी खुशीसे छाप दूँगा।

मुझे आपको यह विश्वास दिलानेकी कोई जरूरत नहीं है कि मैंने जो कुछ लिखा, उसमें व्यक्तिगत रूपसे आपके विरुद्ध कुछ नहीं था। आप तो उस प्रदर्शनीमें शामिल अनेक लोगोंमें से केवल एक ही थे जो आजकी उथल-पुथलको देखते कोई असाधारण बात नहीं है। मुझे अगर यह भय न होता कि इसी चीजकी पुनरावृत्ति कहीं कांग्रेसके अगले अधिवेशनमें न हो जाये, तो मैं तो चुप ही रह जाता। अवश्य, मेरी चेतावनी और विरोधके बावजूद उसकी पुनरावृत्ति हो सकती है। यदि होती है तो मैं अपने ऊपर भीरुताका आरोप नहीं लगाऊँगा।

हृदयसे आपका,

दीवान बहादुर आर॰ रामचन्द्र राव, बी॰ ए॰, सी॰ एस॰ आई॰
मन्त्री, ए॰ आई॰ ए॰ आई॰ के॰ एण्ड आर्ट्स एक्ज़िबीशन
मद्रास सेंट्रल अर्बन बैंक
मायलापुर, मद्रास
अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३०४१) की माइक्रोफिल्मसे।