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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

उसी तरह खादीको भी नहीं छोड़ सकते। खादीको छोड़नेके मानी होंगे भारतीय जनताको बेच देना, भारतवर्षकी आत्माको बेच देना।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १९-१-१९२८

३६७. पत्र : वी॰ के॰ शंकर मेननको

सत्याग्रह आश्रम
साबरमती
१९ जनवरी, १९२८

प्रिय मित्र,

आपके पत्र के सन्दर्भ में मैं श्रीयुत केलप्पनकी रिपोर्ट<refपुलाया कालोनीके बारेमें; देखिए "पत्र : के॰ केलप्पन नायरको", २३-१२-१९२७।></ref> इसके साथ ही भेज रहा हूँ। इसे पढ़नेके बाद आप जो टिप्पणियाँ करना चाहें, उनके साथ इसे कृपया वापस कर दें।

हृदयसे आपका,

संलग्न १
श्रीयुत वी॰ के॰ शंकर मेनन
पुलाया कालोनी, चलाकुडी
(मलाबार)
अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १४६२७) की माइक्रोफिल्मसे।

३६८. पत्र : विधानचन्द्र रायको

सत्याग्रह आश्रम
साबरमती
१९ जनवरी, १९२८

प्रिय डा॰ राय, मैं आपके पत्र तथा उस दवाके लिए आपको तथा डा॰ सरकारको धन्यवाद देता हूँ जिसे आपने कृपापूर्वक भेजा है। दवाओंके प्रति मेरी अरुचि आप जानते हैं। माँके दूधको छोड़कर मैं कोई ऐसी चीज नहीं लूँगा जिसमें मनुष्यके शरीरसे लिया गया कोई तत्त्व मिला हुआ हो। आपने जो गोलियाँ भेजी हैं उनमें गुर्दे और पाचक ग्रन्थियाँ मिली हुई हैं। क्या इन्हें मनुष्य-शरीरसे नहीं लिया गया है? यह मान लें कि इन्हें बन्दर जैसे किसी प्राणीके शरीरसे लिया गया है तो भी मेरी आपत्ति बनी