पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 35.pdf/६२

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२४. युवकोंसे चर्चा

[२५ सितम्बर, १९२७ या उससे पूर्व ] '

[१]

आप मुझे नितान्त झूठी बातें बता रहे हैं। आप उस व्यक्तिको नहीं जानते हैं। यदि राजगोपालाचारी झूठ बोल सकते हैं तो आपको कहना चाहिए कि मैं भी झूठ बोल सकता हूँ। बेशक, मैं कहता हूँ कि वे ही एकमात्र सम्भावित उत्तराधिकारी है, और इस बातको आज मैं फिर दोहराता हूँ। आप युवाजन उन्हें मारनेकी कोशिश में स्वयं अपने आपको मार डालेंगे। पुस्तिकासे यह बात प्रकट होती है कि आप लोगोंको किस प्रकार झूठी बातें बताई जाती हैं- -- आप अपने आन्दोलनको झूठी बातोंके आधारपर खड़ा कर रहे हैं, और इसके अर्थ है हिंसा ।

आप बेशक संकल्पपूर्वक संघर्ष करें। लेकिन अपनी नींव सत्यपर जमायें। मैं आपको जो समय दे रहा हूँ वह केवल इसलिए कि मुझे देशके नौजवानोंके साथ हमदर्दी है।

[ अंग्रेजीसे ]
महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे।
सौजन्य : नारायण देसाई

२५. एक पत्र

[२५ सितम्बर, १९२७]

[२]

प्रिय मित्र,

आपके बताये हुए तथ्योंके आधारपर, और यदि परिस्थियाँ उन तथ्योंके प्रभाव- को कम नहीं करती हैं तो, इस विवाह संस्कारको निश्चय ही विधि-विरुद्ध मानना चाहिए और लड़कीको अपनी पसन्दके व्यक्तिसे विवाह करनेकी छूट होनी चाहिए। लेकिन मेरे विचारसे जबतक लड़की २१ वर्षकी नहीं हो जाती, तबतक वह अपने माता-पितासे परामर्श किये बगैर कोई चुनाव नहीं कर सकती।

[ अंग्रेजीसे ]
महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे।
सौजन्य : नारायण देसाई
  1. १. साधन-सूत्रमें पह वार्ता इसी तिथिके अन्तगत प्रकाशित की गई है।
  2. २. साधन-सूत्र में यह पत्र इसी तारीखके अन्तर्गत दिया गया है।