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भाषण : सौराष्ट्र क्लब, मदुरमें

आपने राजकोटके साथ अपने सम्बन्धका जो उल्लेख किया है उसने मुझे छू लिया है, क्योंकि मेरी तरुणावस्था वहीं बीती है। लेकिन कृपया याद रखें कि इस प्रकारके सम्बन्धका दावा करना कठिन चीज है, क्योंकि ऐसा करके आप अपने ऊपर मेरी उन सारी प्रवृत्तियोंके सम्बन्धमें ज्यादा जिम्मेदारी ले रहे हैं, जो आपके ध्यानमें लाई जायें । इतने अधिक नातेदारों और सम्बन्धियोंका उपयोग ही क्या है यदि संकटके समय आदमी उनका सहारा न ले सके। लेकिन अगर आप चाहें तो आपके लिए मुझसे और घनिष्ठ नातेदारीका दावा कर सकना सम्भव है। कारण यद्यपि मुझे एक ऐसे पिताकी सन्तान होनेका गर्व है जो एक रियासतका दीवान था, लेकिन यदि सम्भव हो तो मुझे इस बातका ज्यादा गर्व है कि मैं आपका ही एक बुनकर भाई बन गया हूँ। क्योंकि जहाँ मेरे पिता अपने अधीन थोड़े समयके लिए रखी गई एक छोटी-सी रियासतकी तकदीरका ताना-बाना बुन रहे थे, आप और मैं यदि चाहें तो बुनाईके उस पेशेसे इस महान देशका भविष्य बुन सकते हैं जो आपका पुश्तैनी धन्धा है, लेकिन जिसे मैंने स्वेच्छासे अपना धन्धा बना लिया है। और आपके साथ अपनी इस अधिक गर्व कर सकने योग्य नातेदारीका स्मरण आपको दिलाकर मैं अपने पिताकी पुण्य स्मृतिका कोई अनादर नहीं कर रहा हूँ, क्योंकि ज्यादातर बड़ी संख्या में लोगोंकी आवश्यकताओंकी पूर्ति करनेका प्रयत्न करके मैं उन्हींके चरण-चिह्नोंपर चल रहा हूँ। और मेरे साथ इस घनिष्टतर नातेदारीकी दावेदारी मुझे आपके अभिनन्दनपत्रके एक महत्त्वपूर्ण अनुच्छेदपर ले आती है।

आप अपने अभिनन्दनपत्र में कहते हैं कि मैं विदेशी सूत या मिलके सूतकी हाथ- बुनाईको प्रोत्साहन दूं, क्योंकि आपको बुननेके लिए जिस मात्रामें और जैसे बारीक सूतकी आवश्यकता होती है, उस मात्रामें और उतना बारीक हाथ-कता सूत नहीं मिलता। अब मैं एक सह-बुनकर होनेके नाते आपको बताऊँगा कि मैं आपकी सिफारिशका समर्थन क्यों नहीं कर सकता। मैं आपको यह समझा सकनेकी उम्मीद करता हूँ कि यदि मैं आपकी सिफारिशका समर्थन करूँ तो वह आपके लिए और उस वर्गके लिए हानिप्रद होगा जिसका खयाल मेरे मनमें है और आपके मनमें भी होना चाहिए। आप लोग अच्छे और चतुर व्यवसायी हैं, इसलिए आपको समझ सकना चाहिए कि कोई भी ऐसा बुनकर, जो विदेशी मिलों या देशी मिलोंका सूत भी बुनता है, पूरी तरह मिलोंकी दयापर आश्रित हो जाता है। बनकरोंके नाते आपको समझ लेना चाहिए कि आप लोग आज जो हाथ-बुनाईको कुछ हदतक अपने नियन्त्रणमें रखते हैं, वह उस दिन आपके हाथसे निकल जायेगी जिस दिन दुनियाकी या भारतकी मिलें उस तरहके कपड़े बुनने लायक हो जायेंगी, जिस तरहके कपड़े अभीतक सिर्फ आप ही बुन रहे हैं। यदि आपको इस तथ्यका पहलेसे ही पता न हो तो मैं आपको सुचित कर दूं कि संसार- के कई मिल-मालिक उस तरहके कपड़े बुननेके लिए प्रयोग कर रहे हैं, जिस तरहके कपड़ेकी बुनाईपर आज आपका एकाधिकार है। इसमें मिल-मालिकोंका कोई दोष नहीं है कि मिल उद्योग दिनोंदिन आपके हाथोंसे यह एकाधिकार छीनकर इस उद्योगको पूरी तरह अपने हाथमें लेनेकी कोशिश कर रहा है। बराबर अपनी मशीनोंमें उन्नति करना