पटेटी और पारसी सत्याग्रही
सोमवारको पारसियों की पटेटी[१] थी। इसलिए उसको मनानेके लिए यहाँके मुख्य पारसी सज्जन और महिलाएँ टेम्स नदीके तटपर एक होटलमें दावतके लिए गये थे। उसमें सर मंचरजी भावनगरीकी मार्फत ट्रान्सवाल और नेटालके प्रतिनिधि भी निमन्त्रित किये गये थे। लगभग पचास सज्जन उपस्थित थे। सर मंचरजी अध्यक्ष थे। इस मण्डलीमें भारतके पितामह दादाभाई नौरोजीकी दो पोतियाँ भी थीं। जब टोस्ट लेकर शुभकामना प्रकट करनेकी बारी आई तो श्री गांधीने पारसी जातिके टोस्टमें सर मंचरजीके साथ श्री रुस्तमजी, श्री सोराबजी, श्री शापुरजी राँदेरिया और नादिरशा कामाके नाम भी लेनेकी सलाह दी। इसका सभामें स्वागत किया गया। अन्य प्रतिनिधियोंमें से श्री आंगलिया ही उपस्थित थे। उन्होंने भी अवसरके अनुरूप भाषण देते हुए सर मंचरजीको उनके प्रयत्नोंके लिए धन्यवाद दिया। भारतकी इस दुःख-गाथाको सबने ध्यानसे सुना और उससे सबके मनमें सहानुभूति उत्पन्न हुई।
इंडियन ओपिनियन, १६-१०-१९०९
२७२. पत्र: लॉर्ड क्रू के निजी सचिवको
[लन्दन]
सितम्बर १८, १९०९
निम्न तार जोहानिसबर्गसे मिले हैं, पहला चीनी संघकी ओरसे, और दूसरा ब्रिटिश भारतीय संघकी ओरसे:
पहला तार
जोहानिसबर्ग
सितम्बर, १६, १९०९
दूसरा तार
जोहानिसबर्ग
सितम्बर १६, १९०९
- ↑ नया साल।