२८९. लन्दन
[अक्तूबर १, १९०९के बाद]
नेटालका शिष्टमण्डल
नेटालके शिष्टमण्डलकी गतिविधिके सम्बन्धमें फिलहाल कोई ज्यादा खबर देने योग्य नहीं है। लॉर्ड क्रू को इससे पहले जो पत्र लिखा था, उसका उत्तर अभी नहीं मिला है। शायद न मिले, यह भी बिल्कुल सम्भव है। श्री अली इमामने मदद करनेका वादा किया है। शिष्टमण्डलने मैरित्सबर्गकी मसजिदके लिए एक मौलवीके आनेका अनुमतिपत्र (परमिट) माँगा था। नेटाल सरकारने उसका उत्तर दे दिया है। इसके विरोधमें लॉर्ड क्रू को एक कड़ा पत्र भेजा गया है। नेटाल सरकारने श्री आमद भायातको यह उत्तर दिया है कि वह मौलवीके लिए तीन-तीन महीने बाद बदला जानेवाला अनुमतिपत्र देगी और उस अनुमतिपत्रपर हर बार एक पौंडकी फीस देनी होगी। इसका अर्थ यह हुआ कि एक सालमें चार पौंड कर देना पड़ेगा। इस पत्रके सम्बन्धमें शिष्टमण्डलने लॉर्ड क्रू को लिखा है कि ऐसा उत्तर स्पष्ट अपमान है और इससे भारतीय समाजकी भावनाओंको ठेस पहुँचती है। भारतीय समाज इस शर्तपर मौलवीको कैसे बुला सकता है? इस प्रश्नको मुस्लिम लीगने भी उठाया है। मैं तो आशा करता हूँ कि इस अनुचित अत्याचारको सहन करनेके बजाय भारतीय समाज सत्याग्रह करेगा। इस सम्बन्धमें पहले तो यह होना चाहिए कि मौलवी सूचना देकर उपनिवेशमें प्रविष्ट हो जायें। फिर यदि उन्हें जेल भेजा जाये तो वे जेल चले जायें। यदि उन्हें सीमा-पार करें तो वे सीमा-पार हो जायें और देशमें झंडा उठायें। सत्याग्रही जेल जानेसे न डरे और सीमा-पार किये जानेसे भी न डरे। वह भिखारी हो जाये तो भी परवाह न करे और उसको ओखलीमें कूटें तो भी न डरे। सत्याग्रहीका ज्यों-ज्यों दमन हो त्यों-त्यों उसका तेज निखरे और उसकी हिम्मत भी बढ़े। तभी वह सत्याग्रही गिना जायेगा। मैं तो मौलवीके सम्बन्धमें दिये गये उत्तरको धर्ममें हस्तक्षेपके बराबर मानता हूँ। इसका अर्थ तो यह हुआ कि यदि हमें धर्म-पालनकी भी सुविधा न दी जाये तो हम अन्तमें डरकर देश-त्याग देंगे। भारतीयोंमें पानी होगा तो वे देश-त्याग नहीं करेंगे और सभी यहाँ नेटालमें अपने-अपने धर्मका पूरा पालन करेंगे। सरकार सत्ताके मदमें जो अत्याचार करेगी, हम उससे दबेंगे नहीं। किसी बेहूदा अन्यायके विरुद्ध सीधा, सरल और शीघ्र न्याय पानेका मार्ग सत्याग्रह ही है।
स्त्रियोंके मताधिकारके लिए आन्दोलन करनेवाली महिलाएँ
अब स्त्रियोंकी मताधिकारकी लड़ाई फिर सामने आ खड़ी हुई है। मैं लिख चुका हूँ कि कुछ स्त्रियोंने अपनी मर्यादाको त्याग दिया है। उन्होंने प्रधान मन्त्रीकी गाड़ीपर पत्थर फेंके। इतना ही नहीं, उन्होंने सिपाहियोंपर भी प्रहार किया। [इसके लिए] वे खुद हथियारोंसे लैस थीं। ये स्त्रियाँ बहुत बहादुर थीं, इसमें तो शक नहीं; किन्तु उन्होंने बहादुरीका दुरुपयोग किया। लगता तो ऐसा है कि वे कह रही हैं, मताधिकार न मिलेगा तो