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अप्रैल २२: लॉर्ड सभामें लॉर्ड क्रू ने गिरमिटिया मजदूरों और शाही उपनिवेशोंमें भारतीयों के प्रवासके बारेमें एक लम्बा वक्तव्य दिया।
अप्रैल २४: चीनी सत्याग्रहियोंके संगठनने चीनियों द्वारा अंगुलियोंकी छाप देनेसे इनकार करनेकी सराहना की।
अप्रैल २६: पोलकने 'रैंड डेली मेल' को पत्र लिखकर उसके सम्पादकीयमें संघर्षके बारेमें कही गई गलत बातोंका जोरदार खण्डन किया।
अप्रैल २७: 'सरकारी गज़ट' में १८९४ के अधिनियम ५ के खण्ड ९ के अन्तर्गत बनाये गये जो नये विनियम प्रकाशित हुए उनके द्वारा यूरोपीय स्कूलोंमें वतनी, भारतीय या रंगदार बच्चोंका प्रवेश निषिद्ध कर दिया गया।
अप्रैल २९: तीन माहकी कैदकी सजा पूरी होनेपर काछलिया और १८ अन्य भारतीय रिहा किये गये।
अप्रैल ३०: मुहम्मद मकदाके मामलेमें सर्वोच्च न्यायालयने फैसला किया कि पंजीयन करनेसे इनकार करनेपर एशियाई पंजीयकके विरुद्ध अपील नहीं की जा सकती।
मई १: बोथाके इस कथनके सम्बन्ध में कि ट्रान्सवालके ९७ प्रतिशत एशियाई पहले ही पंजीयन करा चुके हैं, 'इंडियन ओपिनियन' ने स्पष्टीकरण देते हुए बताया कि इन एशियाइयोंने सत्याग्रह आन्दोलनके नेताओंके प्रयत्नोंके फलस्वरूप ही स्वेच्छया पंजीयनके अन्तर्गत पंजीयन कराया था।
मई ४: ट्रान्सवालकी जेलोंमें कैद, भारतीय सत्याग्रहियोंको भोजनमें घी मिलना शुरू।
पी॰ के॰ नायडूको वेरीनिगिंगमें बिना परवाने व्यापार करनेपर ३ महीनेकी सजा दी गई।
मई १०: पंजीयकने जिन ९२ एशियाइयोंका पंजीयन करनेसे इनकार कर दिया था, उन्हें जोहानिसबर्ग की अदालतने निर्वासित करनेका आदेश दिया।
मई १५: नेटाल भारतीय कांग्रेसने १८९४ के अधिनियम ५ के खण्ड ९ के अन्तर्गत बनाये गये विनियमोंको भारतीय छात्रोंके प्रति भेदभाव करनेवाला बताकर उनके विरुद्ध उपनिवेश सचिवको लिखा।
मई १९: ट्रान्सवालके सर्वोच्च न्यायालयने निर्णय दिया कि सरकारको १९०८ के नोटिसके अन्तर्गत पृथक बस्तियों के निर्धारणको रद करनेका कोई अधिकार नहीं है।
मई २४ : प्रातः साढ़े सात बजे गांधीजीको प्रिटोरिया सेंट्रल जेलसे रिहा किया गया; मुस्लिम मस्जिदके हॉलमें आयोजित सभामें भाषण दिया।
'प्रिटोरिया न्यूज' के प्रतिनिधिको बताया कि १६ वर्षीय बालकको निर्वासित करके भारत भेजना निन्दनीय है। इस तरह भारतीयोंकी हिम्मत नहीं तोड़ी जा सकती। पार्क-स्टेशन पहुँचनेपर उनका शानदार स्वागत किया गया। मस्जिदके अहातेमें आयोजित सभामें बोलते हुए उन्होंने भारतीयोंसे अन्यायी कानूनोंका मुकाबला करनेको कहा। 'प्रिटोरिया न्यूज' ने साम्राज्य दिवसपर गांधीजीकी रिहाईका स्वागत करते हुए अपने सम्पादकीयमें गांधीजीके ध्येयोंकी सराहना की।
मई २६: अपने जेलके अनुभवोंके बारेमें जोहानिसबर्गके समाचारपत्रों में लिखा।
मई २९: 'इंडियन ओपिनियन' में लिखे गये लेखमें सत्याग्रहके अर्थ और उसके परिणामोंपर विस्तारपूर्वक विचार व्यक्त किये। जेलके अनुभवोंके ऊपर एक लेख-माला शुरू की। गैर-सत्याग्रहियों द्वारा ट्रान्सवाल ब्रिटिश भारतीय समझौता समिति स्थापित।