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पृष्ठ:साफ़ माथे का समाज.pdf/१८५

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पर्यावरण का पाठ
योगिता शुक्ल से बातचीत


आपकी दोनों पुस्तकों का विषय मूलतः जल-प्रबंधन पर आधारित है। एक ही विषय पर दो पुस्तकें लिखने में दुहराव का ख़तरा तो रहता ही है, तो क्या इन दोनों पुस्तकों को एक दूसरे के पूरक या विस्तार की तरह देखना चाहिए या फिर दो भिन्न किताबों की तरह। अपनी दोनों पुस्तकों को लेकर आप उनके किस तरह के पाठ प्रस्तावित करना चाहेंगे?

1. इन दोनों पुस्तकों की निर्माण-प्रक्रिया के बारे में और

2. इन पुस्तकों के प्रकाश में आने के पीछे प्रस्थान-बिंदु क्या रहा?

दोनों का विषय एक है इसमें कोई शक नहीं। अगर हम पीछे लौट कर याद करें तो सबसे पहले हमने पानी के काम को समझना राजस्थान से शुरू किया। इस काम की गहराई बहुत थी और हम उसके लायक़ नहीं थे। बहुत तैयारी करनी पड़ी इसको समझने में। राजस्थान से यह यात्रा शुरू हुई फिर बाद के राज्यों को भी धीरे-धीरे समझा और ऐसा लगा कि पहले हम पूरे देश वाला हिस्सा संक्षेप में रख सकते हैं। फिर यह मोह