पृष्ठ:सौ अजान और एक सुजान.djvu/१३२

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टिप्पणी-सहित कठिन-शब्दार्थ-सूची
 

आठवाँ प्रस्ताव

धृष्टता—ढिठाई, निर्लज्जता।
अशालीनता—निर्लज्जता; ढिठाई।
निरंकुश—स्वतंत्र, स्वेच्छाचारी।
हृद्‍गत भाव—वह भाव, जो हृदय के भीतर हो।
हरकसे बाशद—चाहे कोई हो।
आज़ुर्दा—(फ़ा॰-शब्द) खिन्न, दुखी।
बेनज़ीर—अनुपम; बेजोड़; लासानी।
जहूड़ा—(अ॰ ज़हूर) ठाठ, दृश्य, दिखाव।
मनहूस-कदम—चौपटचरण, जिनका आना अशुभदायक हो।
कुंदेनातराश—जाहिल, मूर्ख।
ब्राह्मी बेला—सूर्योदय के पहले की चार घड़ी।
मंगला आरती—वैष्णव संप्रदाय में प्रातःकाल की पहली आरती।

पौफट—(स॰ प्रस्फुट) सूर्य का उदय।
"पौफट……छा गई"—रूपक अलं॰।
"बने बने के……गायब होने लगे।"—उत्प्रेक्षा अलं॰।
कालकैवर्त्त—कालरूपी मल्लाह।
"कालकैवर्त्त…समेट लिया।"—रूपक अलं॰।
"सूर्य लक्का कबूतर…चुग गया"—उपमा अलं॰।
रक्तोत्पल-सदृश—लाल कमल के समान।
वासर-श्री—दिन की शोभा।
"प्रात: संध्या……इकट्ठा कर रही है"—समासोक्ति अलं॰।
प्रभाकर—सूर्य।
"अपने विजयी…होगया"—उत्प्रेक्षा अलं॰।
शनैः शनैः—धीरे-धीरे।